अतिथि शिक्षको पर छाए संकट के बादल, तीन माह से नही मिला वेतन और दिखाया जा रहा बाहर का रास्ता, छले जा रहे अतिथि शिक्षक न घर के है न घाट के
कैलाश सेजकर
मकड़ाई एक्सप्रेस 24 भोपाल। शिक्षा विभाग में दिग्विजय सरकार के समय युवाओ को शिक्षक बनाने के सुनहरे सपने दिखाकर उनके साथ एक तरह से छल ही किया जाता रहा है। पहले मानसेवी शिक्षक,प्रोढ शिक्षक, संविदा शिक्षक और शिक्षाकर्मी और बाद में भाजपा की सरकार विगत 15 वर्षो से आने पर कुछ राहत और वेतनवृद्धि भी हुई मगर इन्होने युवाओ को एक नया शगूफा दिया अतिथि शिक्षक का जिसमें अब युवाओ को अपना भविष्य अंधकार की ओर जाता नजर आ रहा है।
कागजी नियम कानून में उलझा युवा
जिस स्कूल में शिक्षक का पद रिक्त होता है वहां पर अतिथि शिक्षक को रखा जाता हैं जैसे नवीन पदो की पूर्ति हो रही है तो रिक्त पद पर चयनित शिक्षक आ जाने पर अतिथि शिक्षक को विदा कर दिया जाता है। शिक्षा विभाग में सबके पात्रता और स्थापना में जमीन आसमान का अंतर है। कागजी नियम कानून में उलझा युवा सरकार की चाल को समझ नही पा रहा है। और शिक्षा विभाग में किसी उम्मीद के साथ ज्वाईन करता हैं मन लगाकर काम भी करता हैं इसके साथ जो वरिष्ठ शिक्षक होते उनके द्वारा शोषित भी किया जाता हैं।इसके अलावा कम वेतन तथा समय पर नही मिलता है। काम उतना ही लिया जाता है जितना कि वरिष्ठ या स्थायी शिक्षको से लिया जाता है। वेतन में जमीन आसमान का अंतर होता है।
तीन माह से नही मिला वेतन .
अतिथि शिक्षको के संबंध में मिली जानकारी के अनुसार उन्हे विगत 3 माह से वेतन नही मिला हैं।इससे लगता है आगामी त्यौंहार दिपावली का काला होने वाला हैं परिवार एक ओर से उम्मीद लगाए बैठा है कि इकठ्छा रुपया मिलेगा और हम परिवार की जरुरत का सामान खरीद लेगें शिक्षक की पत्नी और बच्चे आस लगाए बैठें है दूसरी ओर सरकार ने चुनाव की तारीखें घोषित होने के बाद से अपने हाथ खींच लिए ऐसे अतिथि शिक्षक और उसका परिवार के सामने दुविधाएं खड़ी हो गई जब पडोस के बच्चे पटाखें फोडे़गें दिए जलाए जायेगे। लक्ष्मी पूजन करेगे बच्चे नए कपड़े पहनेंगें आखिर अतिथि शिक्षक का परिवार ऐसे में कैसे इस दुख को सहन करेगा। सरकार को मालूम था ये सब होना चुनाव की तारीखों का ंअंदाजा था समय रहते इनका वेतन जारी कर दिया जाना चाहिए था।
अतिथि शिक्षको के साथ छल
पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने भी अतिथि शिक्षको से वादा किया था कि हम अतिथि शिक्षको को नियमित करेंगे मगर ऐसा नही हुआ और इसका एक वाक्या ऐसा गुजरा कि प्रदेश की पूरी राजनीति ही बदल गई हुआ कुछ ऐसा कि ग्वालियर में एक जगह पर कांग्रेस के एक कार्यक्रम ज्योतिरादित्य सिंधिया से अतिथि शिक्षको ने नियमित करने की बात पूछी तो उन्होने अपने वरिष्ठ मंत्रियो से पूछा तो उन्होने गोल मोल जबाब दिया जिस पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा ज्वाईन कि फिर कालचक्र कुछ ऐसा चला कि कमलनाथ की सरकार गिरी और पुनः शिवराज मुख्यमंत्री बन गए। मगर अतिथि शिक्षक के हालात नही बदले। अतिथि शिक्षक संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष शंभूचरण दुबे ने बताया कि शासन ने इस माह से मानदेय दाेगुना कर अतिथि शिक्षकों के साथ छलावा किया है।
10 हजार अतिथि शिक्षक होेंगे स्कूल से बाहर
शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षको की ज्वाइनिंग कराई जा रही है जो कि मप्र शिक्षक परीक्षा देकर पास हुए हैं जिन स्कूलो में अतिथि शिक्षक कार्यरत थे वहां पर नियमित शिक्षको की पद पूर्ति होने पर बहुत से अतिथि शिक्षक स्कूलों से बाहर कर दिए जायेगें ऐसा एक आंकडा बताया जा रहा हैं करीब प्रदेश में 10 हजार से अधिक अतिथि शिक्षक बेरोजगार होने जा रहे हैं। सरकार ने इन बेरोजगार हो रहे अतिथि शिक्षको के लिए कुछ सोचा भी नही और वादा भी नही किया।