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अपने भक्तों को ढूंढ लेते हैं भगवान भोलेनाथ : पं. प्रदीप मिश्रा

सात दिन यदि मन भक्ति में डूब जाए तो समझना भोले की हुई कृपा, श्रद्धालुओं के सैलाब के बीच प्रारंभ हुई श्री महा शिवपुराण कथा

बैतूल/मनीष राठौर

 

जिस तरह से मिट्ठू या कोई भी पक्षी पेड़ों पर सैकड़ों की संख्या में फल लगे होने के बावजूद भी किसी एक ही फल को चुनता है। और उसी फल को अपनी चोंच मारता है जानते हो क्यों? क्योंकि उस फल की खुशबू उसे आकर्षित करती है। उसकी मिठास उसे फल के पास ले जाती है। ठीक इसी तरह से भगवान भी अपने प्यारे भक्तों की भक्ति की खुशबू से किसी ना किसी रूप में उनके पास पहुंच जाते हैं।

उक्त प्रवचन पं. प्रदीप मिश्रा ने माँ ताप्ती शिव महापुराण समिति के तत्वावधान में आयोजित श्री शिवपुराण कथा के पहले दिन दिए। पं. मिश्रा ने कहा कि भगवान को अपने भक्तों को तलाश करने में समय नहीं लगता है। वह किसी ना किसी रूप में उसके पास तक पहुंच ही जाते हैं इसलिए सात दिनों तक बैतूल की धरती पर हो रही श्री शिवमहापुराण कथा में पूरी तरह से लीन हो जाए। सात दिन यदि हम तन, मन और चित्त से भक्ति में डूब गए तो समझना भगवान भोलेनाथ की कृपा हो गई है।

व्यास पीठ पर की माँ ताप्ती की पूजा

पं. प्रदीप मिश्रा जैसे ही व्यास पीठ पर पहुंचे उन्होंने सबसे पहले सूर्य पुत्री माँ ताप्ती की पूजा अर्चना की। इसके पश्चात व्यास पीठ पर आसन ग्रहण करने के बाद यजमानों ने पं. मिश्रा का फूल माला पहनाकर स्वागत किया। तत्पश्चात पं. मिश्रा ने महाशिवपुराण कथा प्रारंभ की। कथा स्थल पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु रात्रि से ही पहुंच गए थे। इसके अलावा सोमवार को भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु कथा स्थल पर पहुंचे और सभी ने कथा श्रवण की।

जल चढ़ाने का बताया महत्व

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पंडित मिश्रा ने कहा कि हम सभी मंदिर जाते हैं। भजन कीर्तन करते हैं। शिवमहापुराण की कथा कहती है कि हमें यह ज्ञात नहीं था हमें एक लोटा जल चढ़ाने का क्या फल मिलेगा? एक लोटा जल महादेव को चढ़ाने से 33 कोटि देवी देवताओं का अभिषेक हो जाता है यह हमें ज्ञात नहीं था। जब हमने भगवान शंकर को जाना तो भोलेनाथ की भक्ति के बल पर हमें ज्ञान हुआ कि भगवान का स्मरण करने का फल क्या मिलता है।

बैतूलवासियों की सेवा को नमन

कथा के दौरान पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा कि बैतूल में हो रही कथा में लाखों भक्त आए हैं। यहां पर श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत ना हो इसके लिए बैतूलवासी पूरी तरह से जुटे हुए हैं। इसके लिए मैं बैतूलवासियों को नमन करता है उन्हें साधुवाद देता है। पं. मिश्रा ने कहा कि मैं देख रहा हूं कि चाय, नाश्ते से लेकर हर व्यवस्था बनाने में जुटे हुए हैं। ऐसी सेवा करने वाले बैतूलवासियों को मेरा नमन। माँ ताप्ती का गुणगान हमारे भावों में पहुंचे। इस दौरान पंडित प्रदीप मिश्रा ने बाबा मैं तेरे भरोसे भजन भी सुनाया….।

पेट दिया है तो भोजन भी देगा भोलेनाथ

यदि भगवान भोलेनाथ ने जन्म दिया है तो मृत्यु भी निश्चित है। ठीक इसी तरह से यदि पेट दिया है तो उसके लिए भोजन की व्यवस्था भी भोलेनाथ स्वयं करेंगे। लेकिन पेटी भरने की जवाबदारी भोलेनाथ की बिल्कुल नहीं है। कुटुम्ब का पेट भी भरने की जवाबदारी भोलेनाथ उठाते हैं और वह कुछ ना कुछ ऐसा जरिया आपके सामने ला देंगे जिससे की आपका और आपके परिवार का पेट भर सकें। लेकिन कर्म तो आपको ही करना पड़ेगा। बिना कर्म किए पेट भी नहीं भर पाएगा।

धन की भी की व्याख्या

शिवमहापुराण कथा के दौरान पं. मिश्रा ने धन की व्याख्या करते हुए कहा कि ईश्वर सभी को धन भी देता है। धन का सद्पयोग करने से धन बढ़ता है जबकि गलत उपयोग करने से घट जाता है। श्री मिश्रा ने कहा कि धन का धर्मार्थ में, परिवार की जरूरतों को पूर्ण करने में उपयोग किया जाए तो यह बढ़ता है। लेकिन इसे गलत तरीके से खर्च किया जाए तो इसका घटना प्रारंभ हो जाता है। पंडित जी ने धन का सद्पयोग करने के लिए सभी से आव्हान किया। इसी के साथ उन्होंने दूसरा उदाहरण देते हुए समझाया कि ईश्वर ने नेत्र दर्शन करने के लिए दिए हैं। अच्छा पढऩे के लिए दिए हैं लेकिन जब इनका गलत उपयोग किया जाता है तो इसके दुष्परिणाम भी भुगतने होते हैं। समाचार लिखे जाने तक पं. मिश्रा की कथा के प्रवचन जारी थे।