फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 3 मार्च 2024 को सुबह 08.44 बजे शुरू होगी और 4 मार्च 2024 को सुबह 08.49 बजे खत्म होगी।
भगवान भैरव की साधना आराधना से जीवन का भय दूर होता है। भैरव का अर्थ ही है जो भय का दूर करें मतलब भय को हरे वही भैरव। भगवान भैरव को भगवान का शिव का ही रुप माना जाता है। हर माह की कृष्णपक्ष की अष्टमी को भगवान भैरव का विशेष पूजन किया जाता है। वर्ष 2024 के फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 3 मार्च 2024 को सुबह 08.44 बजे शुरू होगी और 4 मार्च 2024 को सुबह 08.49 बजे खत्म होगी।इस दौरान भगवान काल भैरव की आराधना करने से व्यक्ति को जीवन में कभी दुखों का सामना नहीं करना पड़ता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह चल रहा है, और इस माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। पौराणिक मान्यता है कि कालाष्टमी पर भगवान काल भैरव की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है। जीवन में कई प्रकार रोग, दोष, उपरी बाधा, तांत्रिक क्रियाओं और शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है। हिंदू धर्म मेें अधिकांश परिवार मेें कुलदेवता कुलभैरव बटुक भैरव होते है।जिनका पूजन करना आवश्यक होता है नही तो कई प्रकार की परेशानियां इंसान को भुगतनी पड़ती है।
भगवान भैरव के पूजन में सफेद या लाल रंग के वस्त्र और फूलों का उपयोग करें। नैवेद्ध भजिए पापड़,उड़द की रोटी मिठाई आदि। तांत्रिक पूजन करने वाले अपने पूजन में काले रंग की वस्तुओं का उपयोग करते है। सामान्य गृहस्थ को सुबह शाम सरसो तिल के तेल का दिया भगवान भैरव के सम्मुख लगाना चाहिए। अपने जीवन की मनोकामना उन्हे बोलना चाहिए। भगवान भैरव की सकाम साधना की जाती है मतलब आपकी मनोकामना बोलना जरुरी है।अपनी एक मनोकामना की पूर्णता का संकल्प लेकर कालाष्टमी से अगली कालाष्टमी तक भगवान भैरव का पूजन नियमित करिए।जीवन में हर प्रकार के भय को भगवान भैरव दूर करते हैं सच्चे हृदय से उन्हें याद करें और अपने जीवन रक्षाकारक देव के रुप में स्थान दीजिए। जितना भयंकर रुप है उतने ही प्रभु दयालु है।भगवान भैरव के हर रुप में आराधना की जाती है। भगवान भैरव का सात्विक,राजसिक और तामसिक तीनों रुप में पूजन किया जाता है। सबसे ज्यादा बटुक भैरव रुप ज्यादा लोगो द्वारा पूजन किया जाता है। भैरव जी का वाहन श्वान है। इस बार की कालाष्टमी पर भगवान भैरव का पूजन कर इच्छित लाभ लें।