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कृषि मंत्री के गृह जिले में धरती पुत्र किसान नारकीय जीवन जीने को मजबूर, खेतो में जाने वाले रास्ते मे वर्ष के 12 महीने तीन फिट भरा रहता है कीचड़ दलदल, 10 वर्ष बीते नही हुआ सीमांकन

सीमांकन के लिये तहसीलदार से लेकर सीएम हेल्पलाइन तक लगाई गुहार फिर भी समस्या का नही हुआ  समाधान

मकड़ाई समाचार हरदा। जी हां शीर्षक पढ़कर चौकिये मत आज भी हरदा जिले में कई किसान खेतो में जाने वाले रास्तो के लिये परेशान है। कई गॉव में वर्षो पुराने गोये या तो अतिक्रमण की भेंट चढ़ गए। तो कई जगह नाले बन गए। जिसके कारण किसानो को अपने खेतों तक वाहन ले जाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।ऐसा ही एक मामला सामने आया है हंडिया तहसील के ग्राम सुरजना का जहा एक दर्जन किसान पिछले कई बर्षो से खेतों में जाने वाले कीचड़ दलदल वाले मार्ग से परेशान है।

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किसानों का दर्द और उनका दुखड़ा देखना हो तो इस गॉव में नेता अधिकारी जनप्रतिनिधियों को जरूर जाना चाहिए। मिनी पंजाब के नाम से जाने वाले हरदा जिले का किसान प्रशासन की लचर कार्यप्रणाली के कारण आत्महत्या करने को मजबूर है। दिन रात खेतो में काम करके देश के भंडार भरने वाले किसानों की सुनवाई में दस दस साल लग जाते है। लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई भी जिम्मेदार अधिकारी को जरा सा भी तरस रहम नही आया। क्षेत्र का किसान कोई भीख नही मांग रहा वह तो अधिकार मांग रहा ग्रामीण क्षेत्रो में दबंगो का कब्जा कई जगह बरकरार है। जिसके चलते छोटे मध्यवर्गीय किसानों की सुनवाई नही होती। ग्राम सुरजना में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला।  दस वर्ष से सीमांकन की आस लगाए बैठे किसान तीन तीन फीट दलदल भरे कीचड़ से सराबोर मार्ग से खेतों में आवाजाही करने को मजबूर है।  लेकिन अधिकारी सिर्फ टेबल कुर्सी पर बैठकर सिर्फ तमाशा देख रहे है।

प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल जिले के विकास के लिये, किसानों की समस्याओं के लिये भरसक प्रयास कर रहे है लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण उनकी छवि भी धूमिल हो रही है।

मकड़ाई समाचार की टीम ने जब गॉव जाकर  हालात देखे तो प्रशासन की लचर कार्यप्रणाली सामने आई। और किसानों का दर्द ओर उनकी आँखों मे आँसू अपनी आँखों से देखा । गॉव सुरजना के किसान मुकेश शर्मा ने बताया कि खेतो में जाने वाला 1 किलोमीटर मार्ग कीचड़ से सराबोर है। स्थिति यह है कि वर्ष के 12 महीने तीन तीन फीट कीचड़ भरा रहता है। दलदल भरे मार्ग से जब हम अपनी बैलगाड़ी या ट्रेक्टर लेकर खेतो में जाते है। तो वमुस्किल वाहन निकलते है। कई बार घण्टो कीचड़ में खड़े होकर फंसे हुए वाहन निकालना पड़ता है। इस रास्ते के सीमांकन के लिये आधा सैकड़ा बार पटवारी आर आई तहसीलदार, एसडीएम कलेक्टर, यहां तक कि सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत की लेकिन आज तक किसी भी अधिकारी ने सुध नही ली। किसानो ने आरोप लगाया कि प्रशासन की ऐसी क्या मजबूरी है की 10 वर्ष बीत जाने के बाद भी सीमांकन क्यो नही किया। अगर सीमांकन हो जाता तो ग्राम पंचायत ग्रेवल मार्ग बना देती । । इस संबंध में गॉव के सरपंच श्री बेड़ा से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि जनपद जिला पंचायत में कई बार ग्राम पंचायत सुरजना में सभी सड़को के सीमांकन के लिये पत्र लिखा है। लेकिन कोई भी अधिकारी सीमांकन करने गॉव नही आया। जिसके कारण कई मार्ग नही बन पाए। अगर ग्रामीण क्षेत्र में सीमांकन हो जाता है तो हम ग्रेवल मार्ग बना दे। इस संबंध में हंडिया तहसीलदार अर्चना शर्मा से उनके मोबाइल पर संपर्क करना चाहा लेकिन उन्होंने फोन रिसीब नही किया। प्रदेश के लोकप्रिय कृषि मंत्री कमल पटेल और हरदा के कलेक्टर महोदय को इस ओर ध्यान देना चाहिये ताकि क्षेत्र के किसान अन्नदाता को परेशान न होना पड़े।