PM Modi Pariksha Pe Charcha Watch : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी परीक्षा पे चर्चा 2022 कार्यक्रम के तहत बच्चों से संवाद कर रहे हैं। दो साल के बाद आफलाइन परीक्षा देने जा रहे 10वीं और 12वीं के विद्यार्थी काफी तनाव में हैं। ऐसे में पीएम के साथ प्रेरणादायी चर्चा से उन्हें अपना तनाव कम करने में काफी मदद मिलेगी। कार्यक्रम के दौरान देश भर से करीब 20 विद्यार्थियों द्वारा पीएम से सवाल पूछे जाएंगे।
खुद को जानना बहुत जरूरी है। उसमें भी कौन सी बातें हैं जो आपको निराश करती हैं, उन्हें जानकर अलग कर लें। फिर आप ये जाने लें कि कौन सी बातें आपको सहज रूप से प्रेरित करती हैं। आप स्वयं के विषय पर जरूर विश्लेषण कीजिए।
पुराने जमाने में शिक्षक का परिवार से संपर्क रहता था। परिवार अपने बच्चों के लिए क्या सोचते हैं उससे शिक्षक परिचित होते थे। शिक्षक क्या करते हैं, उससे परिजन परिचित होते थे। यानि शिक्षा चाहे स्कूल में चलती हो या घर में, हर कोई एक ही प्लेटफार्म पर होता था। लेकिन अब बच्चा दिन भर क्या करता है, उसके लिए मां बाप के पास समय नहीं है।
शिक्षक को केवल सिलेबस से लेना देना है कि मेरा काम हो गया, मैंने बहुत अच्छी तरह पढ़ाया।लेकिन बच्चे का मन कुछ और करता है। जब तक हम बच्चे की शक्ति, सीमाएं, रुचि और उसकी अपेक्षा को बारीकी से जानने का प्रयास नहीं करते हैं, तो कहीं न कहीं वो लड़खड़ा जाता है।
इसलिए मैं हर अभिभावक और शिक्षक को कहना चाहूंगा कि आप अपने मन की आशा, अपेक्षा के अनुसार अपने बच्चे पर बोझ बढ़ जाए, इससे बचने का प्रयास करें।
हमें 21वीं सदी के अनुकूल अपनी सारी व्यवस्थाओं और सारी नीतियों को ढालना चाहिए। अगर हम अपने आपको इन्वॉल्व नहीं करेंगे, तो हम ठहर जाएंगे और पिछड़ जाएंगे।
पहले हमारे यहां खेलकूद एक एक्स्ट्रा एक्टिविटी माना जाता था। लेकिन इस नेशनल एजुकेशनल पॉलिसी में उसे शिक्षा का हिस्सा बना दिया गया है।
सरकार कुछ भी करे तो कहीं न कहीं से तो विरोध का स्वर उठता ही है। लेकिन मेरे लिए खुशी की बात है कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी का हिंदुस्तान के हर तबके में पुरजोर स्वागत हुआ है। इसलिए इस काम को करने वाले सभी लोग अभिनंदन के अधिकारी हैं। इसमें लाखों लोग शामिल हैं। इसे देश के नागरिकों, विद्यार्थियों, अध्यापकों ने बनाया है और देश के भविष्य के लिए बनाया है।
2014 से ही हम नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के काम पर लगे थे। हिंदुस्तान के हर कोने में इस काम के लिए इस विषय पर brainstorming हुआ। देश के अच्छे विद्वान, जो लोग साइंस और टेक्नोलॉजी से जुड़े थे, उसके नेतृत्व में इसकी चर्चा हुई। उससे जो ड्राफ्ट तैयार हुआ उसे फिर लोगों के बीच भेजा गया, उस पर 15-20 लाख इनपुट आए। इतने व्यापक प्रयास के बाद नई शिक्षा नीति आई है।
पीएम ने ऐसे समझाया ऑनलाइन और ऑफलाइन पढ़ाई का महत्व
पीएम मोदी से कुछ छात्रों ने पूछा कि कोरोना के दौरान उन्होंने ऑनलाइन कक्षाएं ली, जिसके कुछ साइड इफेक्ट भी रहे। इसके कैसे बचा जाए? पीएम ने समझाया कि समस्या ऑनलाइन पढ़ने में नहीं है, बल्कि मन की एकाग्रता में है। पीएम ने रोचक अंदाज में कहा, ‘ऑनलाइन पाने के लिए है, ऑफलाइन बनने के लिए’। उन्होंने कहा, जैसे डोसा बनाने की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन देखी और समझी जा सकती है, लेकिन क्या इससे पेट भरेगा। पेट तो तब भरेगा जब ऑफलाइन के रूप में हम पूरी सामग्री जुटाएंगे और डोसा बनाकर खाएंगे। इस तरह पीएम ने बच्चों से कहा कि वे ऑनलाइन से दुनियाभर की जानकारी हासिल कर लें और उसे ऑफलाइन के रूप में अपने जीवन में उतारें।
आज हम डिजिटल गैजेट के माध्यम से बड़ी आसानी से और व्यापक रूप से चीजों को प्राप्त कर सकते हैं। हमें इसे एक opportunity मानना चाहिए, न कि समस्या। दिन भर में कुछ पल ऐसे निकालिए, जब आप ऑनलाइन भी नहीं होंगे, ऑफलाइन भी नहीं होंगे बल्कि इनरलाइन होंगे।
जितना अपने अंदर जाएंगे, आप अपनी ऊर्जा को अनुभव करेंगे। अगर इन चीजों को कर लेते हैं तो मुझे नहीं लगता कि ये सारे संकट आपके लिए कोई कठिनाई पैदा कर सकते हैं।
पीएम मोदी ने कहा, आप ऑनलाइन पढ़ाई करते हैं तो क्या आप सच में पढ़ाई करते हैं, या reel देखते हैं? दोष ऑनलाइन या ऑफलाइन का नहीं है। क्लासरूम में भी कई बार आपका शरीर क्लासरूम में होगा, आपकी आंखें टीचर की तरफ होंगी, लेकिन कान में एक भी बात नहीं जाती होगी, क्योंकि आपका दिमाग कहीं और होगा। मन कहीं और होगा तो सुनना ही बंद हो जाता है। जो चीजें ऑफलाइन होती हैं, वही ऑनलाइन भी होती हैं। इसका मतलब है कि माध्यम समस्या नहीं है, मन समस्या है।
माध्यम ऑनलाइन हो या ऑफलाइन, अगर मन पूरा उसमें डूबा हुआ है, तो आपके लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन का कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
अपने इन अनुभवों को, जिस प्रक्रिया से आप गुजरे हैं, उसको आप कतई छोटा मत मानिए। दूसरा आपके मन में जो पैनिक होता है, उसके लिए मेरा आपसे आग्रह है कि आप किसी दबाव में मत रहिए। जितनी सहज दिनचर्या आपकी रहती है, उसी सहज दिनचर्या में आप अपने आने वाले परीक्षा के समय को भी बिताइए।
पीएम मोदी ने कहा, मन में तय कर लीजिए कि परीक्षा जीवन का सहज हिस्सा है। हमारी विकास यात्रा के ये छोटे-छोटे पड़ाव हैं। इस पड़ाव से पहले भी हम गुजर चुके हैं। पहले भी हम कई बार परीक्षा दे चुके हैं। जब ये विश्वास पैदा हो जाता है तो आने वाले एक्जाम के लिए ये अनुभव आपकी ताकत बन जाता हैं।
पीएम मोदी ने कहा, त्योहारों के बीच में exam भी होते हैं। इस वजह से त्योहारों का मजा नहीं ले पाते, लेकिन अगर exam को ही त्योहार बना दें, तो उसमें कईं रंग भर जाते हैं।
पीएम मोदी ने कहा- छात्रों के सभी प्रश्नों का उत्तर समय की कमी के कारण यहां चर्चा नहीं की जा सकती है, मेरे द्वारा नमो ऐप में वीडियो, ऑडियो संदेशों के माध्यम से उत्तर दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बच्चों और पालकों को नव वर्ष की बधाई दी और पूछा कि परीक्षा का तनाव किसे ज्यादा है, बच्चों को या माता-पिता को? पीएम ने बताया कि परीक्षा पे चर्चा उनका पसंदीदा कार्यक्रम है। उन्हें बच्चों के साथ बात करने में बहुत आनंद आता है।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘परीक्षा पे चर्चा’ के पांचवें संस्करण से पहले तालकटोरा स्टेडियम में देश भर के छात्रों द्वारा बनाई गई कई प्रदर्शनी को देखा।