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प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की बहनों ने जिला जेल में कैदी भाईयो को बांधा रक्षा सूत्र

हरदा। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय हरदा सेवा केंद्र द्वारा जिला जेल हरदा में रक्षाबंधन के पावन पर्व की उपलक्ष में कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें बीके किरण बहन ने रक्षाबंधन के आध्यात्मिक रहस्य को स्पष्ट करते हुए कहा मानव स्वभाव से  रक्षाबंधन को बहन और भाई उत्सव समझ कर खुशी से मनाते हैं। यह एक न्यारा और प्यार बंधन है। बंधन दो प्रकार के होते हैं एक ईश्वरीय बंधन और दूसरा सांसारिक बंधन अर्थात कर्म मे बंधना। ईश्वरीय बंधन से मनुष्य को सुख मिलता है परंतु दूसरे प्रकार के बंधन से दुख की प्राप्ति होती है। रक्षाबंधन ईश्वरीय बंधन आध्यात्मिक बंधन अथवा धार्मिक बंधन है परंतु आज लोगों ने इसे एक लौकिक रस्म  बना दिया है। जैसे आध्यात्मिकता और धर्म कर्म के क्षीण हो जाने के कारण संसार की वस्तुओं से अब सार निकल गया है वैसे ही आध्यात्मिकता को निकाल देने से भी सार निकल गया है वरना यह त्यौहार बहुत ही महत्वपूर्ण और उच्च कोटि का त्यौहार है। रक्षाबंधन पर बहन अपने भाई को तिलक लगाकर राखी बाधती है और मिठाई खिलाती है। इसका आध्यात्मिक भाव यह है कि आत्मिक स्वरूप में स्थित होकर मन वचन कर्म की पवित्रता को अपनाकर श्रेष्ठ कर्म करना। मिठाई खिलाना अर्थात मीठी वाणी बोलकर अपने व्यवहार को मधुर बनाना।

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बीके राजेश भाई जी ने कहा कि नशा एक धीमा जहर है जिसका प्रयोग करने वाले को शारीरिक नुकसान होता है ।शराब के सेवन से व्यक्ति अपना सर्वनाश तो करता ही है लेकिन साथ ही साथ पूरे परिवार को गरीबी और भुखमरी जैसी स्थिति में पहुंचा देता है। इसीलिए इस नशे की लत को छोड़ने के लिए राजयोग का अभ्यास जरूरी है। यह एक तपस्या स्थली है जिसे सुधार ग्रह भी कहते हैं जहां अपने कर्मों का प्रायश्चित कर अपने संस्कारों को परिवर्तन करना है। राजयोग हमारे मन को शक्तिशाली बनाता है। जब हम स्वयं को जान लेते हैं और अपने गुनाहों को महसूस कर लेते हैं तो परिवर्तन करना सहज हो जाता है।

जेल अधीक्षक श्री एम एस रावत जी ने कहा की ब्रह्मकुमारी बहनों द्वारा दी गई शिक्षाओं को अमल में लायेंगे तो निश्चित ही आप अपने जीवन में परिवर्तन कर सकते हैं। कार्यक्रम के अंत में सभी बंदी भाइयों को बीके किरण बहन एवं बीके संगीता बहन ने बंदी भाइयों को कलाई पर राखी बांधकर मुख मीठा कराया एवं बुराइयों को छोड़ने का संकल्प करवाया।