मकड़ाई समाचार हंडिया।पहली मुहर्रम से घरों में जारी ‘जिक्रे शहीद-ए-कर्बला’ की महफिलों व मजलिसों का समापन दसवीं मुहर्रम को कुलशरीफ की रस्म के साथ हुआ।हर साल डंके की चोट पर निकलने वाले मातमी जुलूस की शोर इस बार बहुत कम रही।मोहर्रम महीनें की दसवीं तारीख को हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के नवासे इमाम हुसैन व उनके साथियों की जंग-ए-करबला में शहादत हुई थी।उन्हीं की याद में यह पर्व हर साल पूरी दुनिया में मनाया जाता है।
धार्मिक नगरी हंडिया में भी इस दिन प्रत्येक वर्ष फिजा में या अली- या हुसैन की सदा गूंजती थी।और अखाड़ा लट्ठ, व तलवार बाजी के प्रदर्शन के साथ हुसैन साहब को याद कर मातम किया जाता था। किंतु इस बार कोरोना की तीसरी लहर को लेकर जारी गाइड-लाइन के तहत मुहर्रम पर्व की आवश्यक रस्में हीं पूरी की गई,मुस्लिम भाईयों ने सोशल डिस्टेंस का भरपूर पालन करते हुए बगैर ताम-झाम के साथ शहीद-ए-आजम हजरत सैयदना इमाम हुसैन’ व उनके जांनिसारों की शहादत को याद करते हुए खिराजे अकीदत पेश की,कुल मिलाकर कोरोना महामारी को ध्यान में रख सभी मुस्लिम भाई काफी सजग दिखाई दिए। हालांकि,मुहर्रम पर्व के दौरान शांति-व्यवस्था को लेकर टीआई सीएस सरियाम के कुशल नेतृत्व में पुलिस महकमा काफी अलर्ट व चौकन्ना दिखाई दिया।शासन की गाइडलाइन का पालन कराने के लिए पुलिस जवान भी मुस्तैद रहे।