सुनील पटल्या बेड़िया । नगर में मुहर्रम पर्व को लेकर मुस्लिम समाज ने ताजिये का चल समारोह निकाला गया। जुलूस तासो के साथ बस स्टैंड से, मेन चौराहे होते हुए खरगोन रोड़, नई आबादी, चंदर कालोनी से कर्बला में शानिवर को लाछोरा तालाब पर कुल रीति के साथ समाप्त किया गया। जुलूस में पुलिस प्रशासन की पुख्ता व्यवस्था रही। इस्लाम धर्म का महत्वपूर्ण पर्व मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर के पहले महीने मुहर्रम की 10वें दिन मनाया जाता है। इस दिन को ‘आशूरा’ कहा जाता है। यह गम का त्योहार है। मुहर्रम दुख का त्योहार होता है। इस दिन हजरत इमाम हुसैन व उनके 72 साथियों की इराक के कर्बला के मैदान में शहादत को याद करते हुए मातम मनाया जाता है। इस्लाम की मान्यता के अनुसार इस्लाम धर्म के प्रवर्तक पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन 680 ईस्वी में मुहर्रम की 10वीं तारीख को कर्बला के मैदान में शहीद हो गए थे। उन्होंने यज़ीद की सेना का अंत तक सामना किया था। कबर्ला के उस युद्ध की याद में उसी समय से मुहर्रम मनाया जाता है। इसमें ताजिया जुलूस निकाल कर मातम मनाया जाता है। ताजिया हजरत इमाम हुसैन और हजरत इमाम हसन के मकबरों के प्रतिरूप होते हैं। इस दौरान के नगर मुस्लिम समाज उपस्थित थे ।
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