ब्रेकिंग
हरदा: वरिष्ठ पत्रकार स्वर्गीय धर्मेंद्र चौबे को भास्कर परिवार और स्थानीय पत्रकारों के द्वारा नगर पाल... कृषि अधिकारियों ने किया खाद बीज की दुकानों का निरीक्षण  Ladli bahna yojna: मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने लाडली बहनों के खाते में राशि अंतरित की मध्यप्रदेश के एक मंत्री के ड्राईवर की दबंगई ससुराल मे की पत्नि की पिटाई ,हुआ मामला दर्ज !  पूर्व सरपंच के भ्रष्टाचार में साथ न देने वाले वर्तमान आदिवासी सरपंच के हटाने की तैयारी में जुटा प्रश... आपसी रंजिश के चलते बेटी का फोटो एडिट कर उसके पिता को भेजा: पुलिस ने आरोपी को किया गिरफ्तार हरदा: शराब के लिए बदमाश ने रास्ता रोककर की मारपीट, चाकू से किया हमला, घायल युवक का भोपाल में चल रहा ... हिन्दू लड़कियो को लव जिहाद में फँसाकर देह व्यापार कराने के लिए लाखो की फंडिंग, कांग्रेस पार्षद पर लगे... ई सुविधा केंद्र से न्यायालय संबंधित सभी जानकारीया प्राप्त होगी: न्यायाधीश  लखनऊ में विमान की लैंडिंग के दौरान पहिए से निकला धुना और चिंगारी! सऊदी अरब से आए विमान 250 हज यात्री...

मृत्यु के बाद मिला न्याय बेटो ने पिता के रिश्वत मामले की लड़ी कानूनी लड़ाई 23 साल बाद दोषमुक्त

मकड़ाई समाचार उप्र| इलाहाबाद (अब प्रयागराज) निवासी हरिप्रसाद लाल श्रीवास्तव मंडला जिले के बीजाडांडी में बीईओ थे। उनके मातहत विजयपुर प्राथमिक शाला के शिक्षक शंकरदास सोनवानी ने रिश्वत लेने का आरोप लगाया और इसकी शिकायत लोकायुक्त जबलपुर कार्यालय में की। सोनवानी का आरोप था कि 1993 में उसका तबादला लालपुर हो गया।उसके बाद जुलाई 1993 से सितंबर 93 तक की सैलरी रोक दी गई। इसके लिए वह बीईओ श्रीवास्तव से मिले। उन्होंने वेतन निकालने के लिए एक हजार रुपए की रिश्वत मांगी। उसने 500 दिए। शेष रकम बाद में देना तय हुआ। शिकायत पर एफआइआर दर्ज करने के बाद 12 जनवरी 1994 को ट्रेप किया गया।बीईओ श्रीवास्तव के खिलाफ रिश्वत लेने के आरोप में चार्जशीट पेश हुई। विशेष न्यायालय मंडला ने 30 जून 1998 को श्रीवास्तव को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दोषी करार देकर एक वर्ष कारावास की सजा सुनाई। इस फैसले को श्रीवास्तव ने हाईकोर्ट में चुनौती दी।

- Install Android App -

31 दिसम्बर 2006 को श्रीवास्तव का देहावसान हो गया। उस समय बड़े बेटे विजय 39 वर्ष व छोटे बेटे विहल 27 साल के थे। मां विमला श्रीवास्तव के साथ वे पिता पर लगा दाग हटाने के लिए केस आगे लड़ते रहने की मंशा जताई। इस पर हाईकोर्ट में आवेदन प्रस्तुत कर इसकी अनुमति ली गई।खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) दुनिया से विदा हो गए तो बेटों ने यह जंग लड़ी। उनका 16 साल का संघर्ष तब कामयाब हुआ, जब 24 साल बाद हाईकोर्ट ने बीईओ को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया। इस फैसले से भावुक बेटों ने कहा कि अब जाकर उनके पिता की आत्मा को शांति मिली होगी