मकड़ाई समाचार हरदा। शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले । वतन पे मिटने वालों का यही बाक़ी निशां होगा।
शायर ने शहादत की महिमा बताते हुए ये पंक्तियां कही थीं। अफसोस यह लिखते हुए भी हो रहा है कि मेले लगाने की तो छोड़िए शहीद को उनकी शहादत तिथि पर स्मरण करने की जहमत प्रशासन के लोग नहीं उठा पाए।
इधर राज्य और केंद्र सरकार शहीदों के बलिदान को अतुल्य बतलाते हुए शहादत की गाथागान करते नहीं थकती।वो तो भला हो ग्रामवासियों और सामाजिक बंधुओं का जिन्होंने शहीद के गृहग्राम में और हरदा में नगरपालिका में बनीं शहीद दीप सिंह गैलरी जाकर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। और इस तरह शहीद दिवस का दिन ढल गया…अगली तारीख के लिए ! अमर शहीद दीप सिंह चौहान की शहादत को भुल गया जिला प्रशासन ।
अमर शहीद दीपसिंह चौहान 20 सितंबर 2003 को 132 बटालियन केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल मणिपुर राज्य के सुगनू मार्केट जिला थोबाल में उग्रवादियों के साथ मुठभेड़ में तीन उग्रवादियों को मारकर शहीद हो गए थे। संभाग की पहली शहीद गैलरी अमर शहीद दीप सिंह चौहान के नाम 2005 में नगरपालिका ने निर्मित कराई। जिले के पहले शहीद रातातलाई के दीप सिंह चौहान के बलिदान से युवाओं को हमेशा प्रेरणा मिलती रहे, नगरपालिका मे शहीदो के दर्शन हेतु, ऐतिहासिक शहीद गैलरी बनाई गई जिसका नाम अमर शहीद दीपसिंह चौहान रखा गया। हंडिया तहसील के रातातलाई में जन्मे दीप सिंह चौहान ने हरदा के शासकीय बहुउद्देशीय उमा विद्यालय (अब उत्कृष्ट विद्यालय) में 1995 से 99 तक पढ़े। 2002 में वे बीएसएफ में सीमा रक्षक के पद पर भर्ती हुए। मणिपुर के थांबोल में उनकी पोस्टिंग हुई। 20 सितंबर 2003 को मणिपुर जिला मुख्यालय के सुगनू मार्केट में ड्यूटी पर थे। तभी वहां अचानक आतंकियों ने हमला कर दिया। उन्होंने 3 आतंकियों को अपनी सूझबूझ व पराक्रम से ढेर कर दिया था।
नगर पालिका हरदा मे है शहीद गैलरी
2005 में शहीदों की याद में शहीद गैलरी बनाई गई। 2006 से शहीदों की याद में अमर शहीद ज्योति प्रज्वलित हो रही है। अब शहीद गैलरी को अमर शहीद दीप सिंह चौहान के नाम से जाना जाता है। जो हरदा की शान माने जाते है, उनके नाम से हरदा मे एक वार्ड का नाम दिया गया। समाजसेवी सुरेन्द्र सिंह चौहान ने कहा ओर सवाल खड़े किये है। की जब अमर दीप सिंह चौहान शहीद हुए थे। उनकी शहादत की यात्रा मे हजारों लोग थे। हम सब ने सलामी दी थी, उनकी देश भक्ति बालिदान की चर्चा से युवाओं में देश भक्ति का जोश भर जाता हे। लेकिन आज इतना सब होने के बाद भी बलिदान दिवस पर किसी भी प्रकार के बड़े आयोजन नही होते। किसी भी विभाग, संस्था में देखने को नही मिलता। उच्च अधिकारियों द्वारा इस हेतु कोई बड़ा कदम उठाया नही जाता। अमर शहीद के गांव मे स्मारक बनी है, जिसके लिए गांव के व्यक्ति ने अपनी निजी भूमि गांव के शहिद के बेटे के स्मारक हेतु दान कर दी थी। पहले बलिदान दिवस पर गांव में मेला जैसा लगता था, लेकिन समय के साथ साथ शहीद का बलिदान शहादत को भुला दिया गया । हरदा की शान बोल कर सम्मान दिया गया। आज हरदा जिले की शान , भारत माता के वीर पुत्र को भुला दिया जा रहा हे। जो एक सवाल बना हुआ है। शहीद के नाम बनाने वाला स्वागत गेट का आज भी इंतजार कर रहा है।