संसार की वस्तुओं से व संपत्ति से प्रेम करते हैं उतना ही प्रेम यदि हम परमात्मा से करेंगे तो हमारी आत्मा मोक्ष प्राप्त करने की अधिकारी बन सकती- मुनिराज चंद्र यश विजय महाराज
मकड़ाई समाचार हरदा। गच्छतिपति आचार्य देवेश श्रीमद् विजय हेमेंद्र सुरेश्वर महाराज साहब के शिष्य रत्न मुनिराज चंद्र यश विजय जी महाराज साहब का हरदा नगर में रविवार को ऐतिहासिक मंगल प्रवेश मनोज कुमार हुकुमचंद जैन के निवास से नवकारसी के पश्चात गाजे बाजे के साथ आदेश्वर जैन मंदिर पर हुआ। मुनिराज श्री ने अपने प्रवचन में कहा मानव जीवन स्थाई निवास के लिए हमें नहीं मिला है। आप जहां रहते हैं। वह भवन द्रव्य भवन है हमें अच्छे कर्म सत्ता के कारण मानव जन्म मिला है। मानव जीवन एक ब्रिज के समान है जिस पर हो कर सामान्य जीव मोक्ष प्राप्ति के लिए प्रयास करता है।
ब्रिज पर कोई स्थाई मकान नहीं बना सकता और वहां रह नहीं सकता संसार में समय पसार करने के लिए द्रव्य मुख्य होता है जो मानव को सभी सुविधाएं प्रदान करता है। संपत्ति से व्यक्ति को सभी सुविधाएं प्राप्त होती है। पर भाव संपत्ति के कारण व्यक्ति को परलोक में सभी सुविधाएं मिलती है। हम जितना संसार की वस्तुओं से व संपत्ति से प्रेम करते हैं। उतना ही प्रेम यदि हम परमात्मा से करेंगे तो हमारी आत्मा मोक्ष प्राप्त करने की अधिकारी बन सकती है। हमने जीवन में बहुत नोट गिने हैं उसी अनुपात में हमें नवकार मंत्र के जाप करना चाहिए। वही नवकार मंत्र का जाप हमारे साथ आने वाला है। नोट हमारे साथ नहीं आने वाले हैं मंत्र जाप का पुण्य हमारे साथ चलने वाला है। पैसा एक ना एक दिन आपका साथ छोड़ देगा।
यदि पैसे ने आपका साथ नहीं छोड़ा तो एक समय ऐसा आएगा की आपको पैसे का साथ छोड़ना पड़ेगा धर्म करने का जब भी मन हो धर्म के कार्य तुरंत कर लेना चाहिए। क्योंकि पुण्य कमजोर होने के पश्चात व्यक्ति धर्म नहीं कर पाता है। शरीर में व्यक्ति के क्षमता खत्म होने के पश्चात व्यक्ति धर्म नहीं कर सकता है। इसलिए जब भी धर्म करने के भाव मन में आए तुरंत धर्म के क्षेत्र में आगे बढ़ जाना चाहिए। मुनि श्री ने आईपीएल देखने वालों को कहा की आईपीएल देखने में बुराई नहीं है। पर आईपीएल को खेलने का प्रयास नहीं करना चाहिए इससे व्यक्ति के जीवन में बर्बादी निश्चित है।
मुनि श्री के प्रवेश के दूसरे दिन श्री मोहनखेड़ा तीर्थ के मैनेजिंग ट्रस्टी सुजान मल सेठ का आगमन हुआ श्री सेठ ने भी धर्म सभा में उपस्थित लोगों को अपना वक्तव्य दिया और श्री संघ के अनुमोदनीय कार्यों की अनुमोदना की रात्रि में दोनों दिन प्रभु भक्ति का आयोजन श्री संघ द्वारा रखा गया।