हरदा : अब गर्मी से प्रभावित नहीं होगा गेहूं का उत्पादन, पुसा सेंटर के वैज्ञानिकों ने विकसित की नई किस्में
मकड़ाई समाचार हरदा। मध्य प्रदेश में प्रति वर्ष जलवायु परिवर्तन का दुष्परिणाम झेल रहे किसानों की परेशानी दूर करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने गेहूं की नई किस्म HD3410 एवं HD3249 विकसित की है। यह गेहूं की नई किस्म अधिक तापमान में भी ज्यादा उत्पादन देगी। वहीं हरदा जिले के ग्राम सोमगांव कलां में कृषक मित्र बीज उत्पादन केंद्र से यह वैरायटी HD3410 एवं HD3249 का बीज किसानों को बोनी के लिए उपलब्ध कराया था। जिनके निरक्षण करने के लिए *पुसा सेंटर दिल्ली के जाने माने वरिष्ठ वैज्ञानिक (गेहूं प्रजनन) कृषि सलाहकार डांक्टर नरेंद्र कुमार पहुंचे। जिन्होंने किसानों को जानकारी देते हुए बताया कि यह दो नई किस्म की वैरायटी HD3410 व HD3249 की पैदावारी अधिक मापी गई है। इन दोनों वैरायटी का उत्पादन पिछले वर्ष करीब 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर दर्ज किया गया है। नई किस्म HD3410 के पौधे की ऊंचाई 102° सेमी है। तो वहीं HD3249 पोधे की ऊंचाई 101° सेमी. है। और खास बात यह है कि इसके तने भी काफी मजबूत हैं। जिससे गेहूं का हवाओं में झुकाव कम रहेगा। कृषि वैज्ञानिक व सलाहकार डॉक्टर नरेंद्र कुमार जी का कहना है कि यह नई किस्म की वैरायटी पकने में कम समय लेती है और जल्दी बुवाई के लिए उपयुक्त है। ग्राम सोमगांव कलां के कृषक मित्र बीज उत्पादन सह समिति के संचालक यशपाल चौधरी ने बताया हमारे द्वारा किसानों को बोनी के लिए बीज दिया गया था, जिसकी किसानों ने दिनांक 20 नवम्बर को गेहूं की बोनी की गई थी। जिससे नई किस्म की बालियों में दाना भराने (फुलने) की अवस्था में पहुंच गई हैं, जबकि अन्य गेहूं की वैरायटीयो में बालियां तेज धूप व अन्य वायरस से आधी बालियां सुखने लगी है। वहीं सामान्य गेहूं की फसल आमतौर पर 140-145 दिन के बाद पक जाती है। अगर बुआई अक्टूबर माह में हो जाए तो इसकी कटाई मार्च में हो सकती हैं।
कृषि जानकारों की मानें तो इस वर्ष फरवरी महीने में तापमान में वृद्धि से फसल उस समय झुलस गई है। जब वे अनाज स्टार्च और प्रोटीन जमा कर रही थी। हमने जब किसानों से चर्चा की हमे कृषक किशन एवं राहुल पाटिल ग्राम तीनसार वालों ने जानकारी देते हुए बताया कि नई वैरायटी HD3410 व HD3249 यह दोनों वैरायटी किसानों के लिए अधिक उत्पादन में वरदान साबित हो सकती है। किसानों को यह बीज कृषक मित्र बीज उत्पादन सह. समिति द्वारा उपलब्ध कराया गया है। वहीं कुछ किसानों का कहना है कि इस बार फरवरी में गर्मी तेज होने से सामान्य गेहूं की वैरायटीयो को भी काफी नुकसान हुआ है।
फरवरी में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी का आना आम लोगों के साथ-साथ किसानों के लिए भी काफी नुकसानदायक साबित हो रहा है। गेहूं की फसल खेतों में ही है। आशंका है कि इस बार भी कहीं कहीं किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। ऐसे में वैज्ञानिकों की उपलब्धि उम्मीद की किरण बनकर आई है। इससे किसान नई वैरायटी 3410 एवं 3249 गेहूं को पसंद कर अच्छा उत्पादन ले सकेंगे। बीते साल मार्च के तापमान में वृद्धि से किसानों की फसल उस समय झुलस गई थी जब अनाज स्टार्च और प्रोटीन जमा कर रहे थे।