हरदा : भगवती नर्सिंग होम नवजात की गला काटने से हत्या मामले में फिर से होगी जांच, पुलिस अधीक्षक ने हाइकोर्ट में दिया जवाब, 7 बिंदुओं पर फिर से होगी जांच !
“वर्ष 2020 के भगवती नर्सिंग होम में नवजात हत्याकांड मामले में माननीय जबलपुर हाईकोर्ट ने डब्लयूपी 28014 में दिनांक 29/11/2023 को हुई सुनवाई में तीन महीने में पुलिस को नए सिरे से पुनः संपूर्ण जांच करने के आदेश दिए हैं।”
हरदा : अधिवक्ता अनिल जाट ने बताया कि वर्ष 2020 में अर्जुन पटेल के बेटे युवराज पटेल निवासी अवगांवखुर्द के द्वारा अपने घर पर काम करने वाली एक 15 वर्षीय नाबालिग आदिवासी बच्ची के साथ कई बार बलात्कार किया था जब वह नाबालिग बच्ची गर्भवती हो गई तो उसका गर्भपात कराने के उद्देशय से उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को मारने तथा बलात्कार के सबूत मिटाने के लिये उस बच्ची को अर्जुन पटेल के द्वारा शहर के प्रसिद्ध डाॅक्टर मनीष शर्मा के पास ले जाया गया। इसके बाद उसे भगवती नर्सिंग होम मे भर्ती कराया गया। भगवती नर्सिंग होम में उसे दवाएं और इंजेक्शन दिये गये जिसके बाद उसके गर्भ से उत्पन्न हुई संतान के गले को सर्जिकल ब्लेड से काटकर उसकी बेरहमी के साथ हत्या कर दी गई थी। इसके बाद पुलिस के द्वारा न्यायालय में अभियोग पत्र पेश किया गया। पुलिस के द्वारा अर्जुन पटेल और उसके बेटे युवराज पटेल के साथ – साथ नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता की मां को एवं उस नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता को भी आरोपी बना दिया गया। परंतु पुलिस के द्वारा इस केस में न तो डाॅक्टर मनीष शर्मा को आरोपी बनाया गया और ना ही भगवती नर्सिंग होम के संचालक डाॅ. आरबी पटेल को आरोपी बनाया गया और ना ही अस्पताल प्रबंधन या किसी कर्मचारी को आरोपी बनाया गया था। इसके बाद इस मामले में गरीब आदिवासी परिवार को प्रताड़ित किये जाने की जानकारी जैसे ही जयस प्रदेश अध्यक्ष रामदेव काकोडिया को लगी उनके द्वारा अधिवक्ता अनिल जाट से संपर्क किया और इस मामले को फिर से रिओपन कराने का निर्णय लिया गया।
इसके बाद इस मामले की पुनः जांच करवाने के लिये अधिवक्ता अनिल जाट एवं जयस प्रदेश अध्यक्ष रामदेव काकोडिया के द्वारा जबलपुर हाईकोर्ट में नबालिग दुष्कर्म पीड़िता के पिता की ओर से हाईकोर्ट अधिवक्ता श्री अंकित सक्सेना एवं अधिवक्ता अमन प्रजापति के माध्यम से मामले की सीबीआई से जांच कराने के लिये डब्लयूपी क्रमांक 28014/2022 दिसंबर 2022 में जबलपुर उच्च न्यायालय में दायर की गई थी।
इसी याचिका पर दिनांक 05/12/2022 को सीबीआई सहित मध्य प्रदेश सरकार एवं एसपी हरदा तथा डाॅ मनीष शर्मा, भगवती नर्सिंग होम को नोटिस जारी किये गये थे। इसके बाद पिछली सुनवाई दिनांक 30/10/2023 को इस मामले में पुलिस अधीक्षक हरदा एवं मुख्य स्वास्थ चिकित्सा अधिकारी हरदा को व्यक्तिगत शपथपत्र दायर करने हेतु निर्देश दिये थे और यह भी पूछा था कि इस केस में डाॅ मनीष शर्मा एवं भगवती नर्सिंग होम तथा अन्य संबंधित डाॅक्टरों को आरोपी क्यों नहीं बनाया गया । साथ ही जिस मेडिकल बोर्ड का गठन डाॅक्टर मनीष शर्मा को आरोपी नहीं बनाये जाने के संबंध में किया गया था उस मेडिकल बोर्ड के सदस्य डाॅ शिरिष रघुवंशी, डाॅ राजेश सिसोदिया, डाॅ गोविंद कुशवाह थे उन्हें भी इस याचिका में पक्षकार बनाया गया था और उन्हें भी नोटिस जारी किये गये थे।
इसके बाद इस याचिका पर दिनांक 29/11/2023 को अंतिम सुनवाई की गई। इस याचिका की सुनवाई के दौरान पुलिस अधीक्षक हरदा की और से माननीय उच्च न्यायालय में व्यक्तिगत शपथ पत्र पर यह कहा गया कि पुलिस अधीक्षक कार्यालय हरदा के द्वारा दिनांक 24/11/2023 को एक आदेश पारित करते हुए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हरदा के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई है जिसमें एसडीओपी हरदा एवं थाना प्रभारी सिविल लाइन हरदा भी शामिल हैं। उप पुलिस अधीक्षक हरदा अजाक श्री सुनील लाटा को विवेचना अधिकारी बनाया हैं एवं इस मामले कि फिर से नये सिरे से जांच कर रहे है और डाॅक्टर मनीष शर्मा एवं भगवती नर्सिंग होम की भूमिका की जांच की जा रही हैं।
इस पर माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा राज्य सरकार के साथ – साथ पुलिस को 3 महिने में संपूर्ण जांच पूरी करने के का आदेश दिया है तथा तब तक ट्रायल कोर्ट को निर्णय पारित न करने का भी आदेश देते हुए नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता के पिता के द्वारा दायर इस याचिका को आज निराकृत कर दिया गया है।
अधिवक्ता अनिल जाट ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि इस मामले में जो पुलिस अधीक्षक हरदा की ओर से शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा जो आदेश दिये गये हैं उसके तहत पुलिस को इस मामले की फिर से जांच करना होगी। संबंधित डाॅक्टरों को एवं संबंधित अस्पताल को तथा इस अपराध में शामिल समस्त व्यक्तियों को आरोपी बनाना होगा और पीड़ित पक्ष को न्याय प्रदान करवाना होगा अगर पुलिस के द्वारा फिर से आरोपियों के प्रभाव में आकर सही जांच नहीं की जाती है या दोषी डाॅक्टरों एवं अस्पताल को बचाने की कोशिश की जाती है तो इस मामले में फिर से हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिका प्रस्तुत कर, दोषियों के साथ – साथ उन्हें बचाने वालों के विरुद्ध भी कार्यवाही की जाएगी।
◆ क्या है एसपी का जवाब –
पुलिस अधीक्षक हरदा की ओर से माननीय उच्च न्यायालय में प्रस्तुत शपथ पत्र के अनुसार पुलिस अब इन सात बिंदूओं पर फिर से अपनी जांच करेगी तथा सिविल लाइन हरदा के अपराध क्रमांक 91/2020 में माननीय विचारण न्यायालय से धारा 173(8) के तहत अग्रिम विवेचना की अनुमति प्राप्त कर भगवती नर्सिंग होम के स्टाॅफ व चिकित्सकों के संबंध में अग्रिम विवेचना किया जाना उचित होगा।
नोटः- पुलिस अधीक्षक हरदा के द्वारा हाईकोर्ट में प्रस्तुत अपने शपथ पत्र में पीड़िता का नाम लिखा गया है कानूनन पीड़िता का नाम सार्वजनिक नहीं किया जा सकता इसलिये उसे पीड़िता कहा जा रहा हैं।
◆ इन बिंदुओं पर होगी जांच –
1 – पीड़िता के डाॅक्टर मनीष शर्मा की क्लिनिक में आने पर नाबालिग की स्थिति में प्रेंगनेंसी का पता चलने पर डाॅक्टर मनीष शर्मा का प्रथम कर्तव्य पुलिस को सूचित करने का था जो नहीं किया गया हैं।
2 – पीड़िता को डाॅक्टर मनीष शर्मा द्वारा भगवती नर्सिंग होम में भर्ती कराने हेतु भेजा गया जबकि भगवती नर्सिंग होम के संचालक डाॅ0 आरबी पटेल द्वारा बताया गया है, कि वहां प्रसव रुम नहीं हैं ना ही कोई महिला डाॅक्टर हैं। यह जानकारी डाॅक्टर मनीष शर्मा को भी थी।
3 – पीड़िता के गर्भवती होने की स्थिति में या उसके पेट दर्द होने की स्थिति में उसे जिला चिकित्सालय हरदा में महिला डाॅक्टर की निगरानी में भर्ती कराया जाना चाहिए था तथा इलाज कि सुविधा उपलब्ध करवाई जानी थी।
4 – डाॅक्टर मनीष शर्मा स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं है इसके उपरांत भी गर्भवती पीड़िता का परीक्षण किया गया तथा आठ माह की गर्भवती पीड़िता के गर्भ में पल रहे बच्चे के अवैध पिता के अपराध के साक्ष्य मौजूद थे तथा भगवती नर्सिंग होम में प्रसव की सुविधा उपलब्ध न होने के बावजूद पीड़िता को उक्त अस्पताल में भेजकर नवजात शिशु की हत्या के षंडयंत्र में शामिल होकर नवजात शिशु की हत्या का अवसर आरोपियों को प्रदान करना।
5 – पीड़िता के नाबालिग होने तथा गर्भवती होने की स्थिति में महिला डाॅक्टर से परामर्श एवं काउंसलिग की सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए थी।
6 – पीड़िता को डाॅक्टर मनीष शर्मा द्वारा दी गई दवाईयों के प्रभाव से गर्भपात/ समय पूर्व प्रसव होने की संभावना हैं जिसके संबंध में भी विवेचना की जाना उचित होगा।
7 – घटना स्थल भगवती नर्सिंग होम हरदा है उक्त भगवती नर्सिंग होम में पीड़िता के नवजात शिशु पैदा होने, उसकी हत्या होने के संबंध में भगवती नर्सिंग होम के स्टाॅफ को पता न चले यह तथ्य भी संदेहास्पद हैं जिसके संबंध में भी अग्रिम विवेचना की जाना प्रासंगिक हैं।