मकड़ाई एक्सप्रेस हरदा । हरदा मुख्य चिकित्सा स्वस्थ्य अधिकारी कार्यालय की अनुमति के चल रहे एक क्लीनिक मामले की खबर बुधवार को मकड़ाई एक्सप्रेस ने प्रसारित की थी। मामला संज्ञान में आने के तुरंत बाद ही कलेक्टर ऋषि गर्ग ने उक्त मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं।
उल्लेखनीय है कि यह मामला जहां मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के संज्ञान में था। लेकिन चूंकि अनुमति देने के प्राधिकृत अधिकारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी स्वयं हैं। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है। कि जानकारी होते हुए भी समय रहते कार्रवाई क्यों न की ? आपकी अनुमति के बिना यदि क्लीनिक चलना अवैधानिक था तो फिर आपके द्वारा क्लीनिक चलते देना किस बात का प्रतीक है।
वही पूर्व में लगातार मकड़ाई एक्सप्रेस के द्वारा बिना अनुमति चल रहे गांव गांव फर्जी नेत्र शिविर, सहित कोरोना कॉल में फर्जी सर्टिफिकेट मामले में प्रमाणित तथ्यों के साथ खबरों का प्रकाशन कर आपका ध्यान आकर्षित कराया गया। उक्त मामले में अभी तक कार्यवाही क्यों नही की गई। आखिर आपको किस राजनीतिक पार्टी के नेता का दबाव था। या फिर कोई और रिश्ता आप निभा रहे थे। यह सवाल शहर में चर्चा का विषय बना है।
जबकि कार्रवाई करना आपका अधिकार क्षेत्र है। हैरत अंगेज़ बात यह भी है कि पूर्व प्रभारी CMHO केके नागवंशी जो आपके शासकीय आवास भवन में आपके पड़ोसी हैं। नागवंशी को रिटायर्ड हुए करीब 1 वर्ष गुजर चुका। वर्तमान में वे संविदा के रूप में एक्सटेंशन पर हैं। यह जानते हुए भी कि संविदाकर्मी को शासकीय आवास आवंटन करना नियम में नहीं है। नागवंशी की रहवासी को नजरअंदाज किया गया। एक साल की अवधि में 12 अप्रैल 2023 को ही बैठक में यह मुद्दा आपके द्वारा उठाया जाना क्या दर्शाता है।
CMHO साहब ऐसे और भी मामले हैं जो आपके संज्ञान में हैं और लंबित हैं। क्या वजह है कि पूर्व CMHO नागवंशी के फर्जी दस्तखत सर्टिफिकेट वाले मामले में आप अभी तक खामोश हैं।
याद हो, माया ऑप्टिकल मामले में डॉ गिरीश मुकाती के यहां कार्यरत छोटे भाई के दुकान खोलने के आवेदन पर cmho के फर्जी दस्तखत वाले फर्जी अनुमति पत्र को बड़े भाई सुदीप की दुकान में लटकाकर कोविड काल मे प्रतिबंधित समय मे दुकान खोली गई जबकि बन्द पूर्णतः था।
इसी तरह माया ऑप्टिकल के कर्मचारी, एक लड़की व एक अन्य (जो गैस सिलेंडर सप्लायर है) द्वारा कुकरावद ग्राम और नर्मदापुरम जिले के बिसोनी गांव में कई लोगों को आँख की जांच कर इलाज दिया गया। जिसका वीडियो भी वायरल हुआ।
आपने इस मामले में क्या किया CMHO साहब। ज़रा याद करके बताइए । मालूम हो इन प्रमाणित खबरों का कई महीने गुजरने के बाद भी खंडन नहीं आया। जबकि तत्कालीन कलेक्टर संजय गुप्ता ने अवैध कैम्प व cmho के फर्जी सर्टिफिकेट पर इसको लेकर जांच के आदेश दिए थे। सूचना के अधिकार में मिली CMHO नागवंशी के दस्तखत और टीप माया ऑप्टिकल दुकान में लगे सर्टिफिकेट से मेल नहीं खा रही थी। इस मामले में आपने अभी तक क्या जांच की।
इस संबध में जिला कलेक्टर ऋषि गर्ग से संपर्क करना चाहा लेकिन उनसे संपर्क नही हो पाया। लेकिन उम्मीद है। सीएमएचओ हरदा की अनदेखी के इस गंभीर अनियमितता धोखाधड़ी करने वाले मामले में जिला कलेक्टर महोदय जांच टीम का गठन करवाकर कार्यवाही करेगे।