Hanuman Chalisa Row : मुंबई में हनुमान चालीस पाठ पर चल रहे विवाद के बीच महाराष्ट्र के ही औरंगाबाद में बड़े टकराव की आशंका पैदा हो गई है। खबर यह है कि उद्धव ठाकरे सरकार ने पूरे औरंगाबाद में धारा 144 लगाने का आदेश दिया है। राज ठाकरे ने यहां 1 मई को बड़ी रैली का ऐलान किया है। राज ठाकरे को अब तक रैली की अनुमति नहीं मिली है। महाराष्ट्र सरकार ने ईद और अन्य त्योहारों का हलावा देकर 9 मई सुबह 6 बजे तक धारा 144 लागू की है। आशंका जताई जा रही है कि इस मुद्दे पर शिवसेना और मनसे (MNS) में टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है।
हनुमान चालीसा विवाद में उद्धव ठाकरे की एंट्री, पढ़िए बयान
महाराष्ट्र में हनुमान चालीसा के नाम पर खुलकर राजनीति हो रही है। पूरे मामले में अब तक शांत रहे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी धमकी भरा बयान दिया है। उद्धव ने न केवल निर्दलीय सांसद नवनीत राणा और उनके निर्दलीय विधायक पति रवि राणा पर निशाना साधे, बल्कि राज ठाकरे और भाजपा को भी आड़े हाथों ले लिया। उद्धव ने कहा, हम गदा-धारी [गदा चलाने वाले] हिंदुत्व का पालन करते हैं, घंटा-धारी [घंटी रखने वाले] हिंदुत्व का नहीं। मैं जल्द ही एक रैली करूंगा और वहां सभी से निपटूंगा। उद्धव ने यह भी कहा कि हनुमान चालीसा पढ़ना है तो घर पर आकर पढ़िए। इसका एक तरीका होता है, लेकिन दादागिरी करके मत आइए। अगर ऐसा करेंगे तो बाला साहब ने सिखाया है कि दादागिरी कैसे तोड़नी है। भाजपा पर निशाना साधते हुए उद्धव ने कहा, आप किस तरह के हिंदुत्ववादी हैं? आप बाबरी मस्जिद विध्वंस के दौरान छिप गए थे। कोर्ट ने राम मंदिर बनाने का फैसला लिया।
राणा दंपत्ति की जमानत याचिका पर सुनवाई आज
अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत कौर और उनके पति की जमानत याचिका पर आज निचली अदालत में सुनवाई होगी। दोनों ने जमानत के लिए याचिका लगाई है। इससे पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के घर के बाहर हनुमान चालीसा पढ़ने की घोषणा करने वाली सांसद नवनीत राणा और उनके पति रवि राणा को बांबे हाई कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद करने वाली याचिका को खारिज कर दिया। इस दौरान कोर्ट ने उन्हें जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि किसी के घर के बाहर हनुमान चालीसा पढ़ना व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन है। उनके कारण कानून-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो गई थी। पुलिस की इस बात में तथ्य है। याचिकाकर्ता जन प्रतिनिधि हैं। इसलिए, उनकी जवाबदेही आम नागरिकों से ज्यादा है। ऐसे लोगों को बहुत ही सोच-समझकर बोलना चाहिए।
