इजराइल के सहयोग से हरदा में शुरू होगा कृषि व उद्यानिकी उत्कृष्टता केन्द्र
मकड़ाई समाचार हरदा। इजराइल के सहयोग से वर्तमान में छिंदवाड़ा एवं मुरैना में कृषि व उद्यानिकी की खेती के लिये उत्कृष्टता केन्द्र प्रारम्भ किये है। अगले चरण में हरदा के साथ-साथ नीमच जिले में भी इस तरह के केन्द्र शुरू होंगे, जहाँ किसान खेती की नवीनतम तकनीकों की जानकारी लेकर कृषि उत्पादन और आय बढ़ा सकेंगे। यह बात प्रदेश के कृषि मंत्री श्री कमल पटेल ने बुधवार रात को स्थानीय एक होटल के सभाकक्ष में आयोजित कार्यक्रम में कही। इस अवसर पर भारत में इजराइली दूतावास के एग्रीकल्चर अटैचे येइर एशेल ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में कलेक्टर ऋषि गर्ग के साथ-साथ कृषि व उद्यानिकी विभाग के अधिकारी तथा इजराइल दूतावास के प्रोजेक्ट ऑफिसर ब्रह्मदेव, नीति सलाहकार अर्पित कालीचरण व सहयोगी अभिषेक पाण्डे भी मौजूद थे। इस दौरान हरदा जिले में उद्यानिकी फसलों की संभावना विषय पर प्रेजेन्टेशन भी प्रस्तुत किया गया।
कृषि मंत्री श्री पटेल ने इस अवसर पर कहा कि हरदा जिले के खेतों में मिट्टी उपजाऊ है। नर्मदा और तवा नदियों के साथ-साथ नहर की सुविधा भी उपलब्ध है, जिससे खेतों की सिंचाई के लिये पानी की कमी नहीं है। साथ ही यहाँ की जलवायु भी फसलों के अनुकूल है। उन्होने कहा कि चना, मूंग और गेहूँ के प्रति हेक्टेयर उत्पादन के मामले में हरदा जिला पंजाब और हरियाणा से भी आगे है। आगामी दिनों मोरंड गंजाल सिंचाई परियोजना भी शुरू होने जा रही है, जिससे किसानों को सिंचाई के लिये भरपूर पानी उपलब्ध होगा। कृषि मंत्री श्री पटेल ने कहा कि उद्यानिकी फसलों में अन्य फसलों की तुलना में किसान को अधिक लाभ प्राप्त होता है। उन्होने कहा कि हरदा जिले का किसान मेहनती है। हरदा में इजराइल के सहयोग से उद्यानिकी व कृषि उत्कृष्टता केन्द्र प्रारम्भ हो जाने से यहाँ के किसानों को फसल उत्पादन बढ़ाने के लिये तकनीकी मार्गदर्शन भी मिलने लगेगा तो किसान और समृद्ध होंगे। कृषि मंत्री श्री पटेल ने बताया कि हरदा जिले के एक किसान ने एक ही वर्ष में 8 करोड़ रूपये की मिर्ची बेची है, जो यह सिद्ध करती है कि यहाँ के किसान कितने उन्नत है। उन्होने बताया कि सिराली के किसान के खेतों की मिर्ची दुबई तक निर्यात हो रही है।
भारत में इजराइली दूतावास के एग्रीकल्चर अटैचे श्री येइर एशेल ने इस अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि इजराइल में खेती बहुत महंगी है क्योंकि खेती की आधी लागत तो सिंचाई के लिये पानी की व्यवस्था में खर्च होती है क्योंकि इजराइल में वर्षा कम होती है। उन्होने बताया कि इजराइल में वर्षा के पानी की एक-एक बूंद को सहेजकर रखा जाता है। पानी की एक बूंद भी खेत से बाहर व्यर्थ नहीं जाती है। उन्होने कहा कि इजराइल की ओर से भारतीय किसानों को खेती के तकनीकी के बारे में बताया जाएगा। उन्होने कहा कि कृषि मंत्री श्री पटेल शीघ्र ही इजराइल का दौरा कर वहाँ की कृषि तकनीक को समझेंगे। श्री येइर एशेल ने बताया कि इजराइल की केवल 3 प्रतिशत आबादी खेती करती है जबकि भारती दो तिहाई आबादी खेती करती है।