बोगीबील(असम): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज बोगीबील पुल से गुजरने वाली पहली यात्री रेलगाड़ी को हरी झंडी दिखा कर देश के सबसे लंबे इस रेल-सड़क पुल का शुभारंभ करने के लिए डिब्रूगढ़ पहुंच गए हैं। प्रधानमंत्री थोड़ी ही देर में पुल का उद्धाटन करेंगे। तिनसुकिया-नाहरलगुन इंटरसिटी एक्सप्रेस सप्ताह में पांच दिन चलेगी। इस पुल के निर्माण में 5,900 करोड़ रुपए का खर्च आया है। कुल 14 कोचों वाली यह चेयर कार रेलगाड़ी तिनसुकिया से दोपहर में रवाना होगी और नाहरलगुन से सुबह वापिसी करेगी।
अरुणाचल प्रदेश में चीन की चुनौतियों और सेना की जरूरतों को ध्यान में रखकर ही इस पुल का निर्माण किया गया और इससे भारतीय सैनिकों को काफी लाभ होगा। पीएम मोदी, दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की वर्षगांठ के अवसर पर इस बोगीबील पुल पर रेल आवागमन की शुरूआत करने जा रहे हैं।
रेल-सड़क पुल की खासियत
- एशिया के दूसरे सबसे लंबे रेल-सड़क पुल बोगीबील की मियाद कम से कम 120 वर्ष है।
- ब्रह्मपुत्र नदी पर बना 4.9 किलोमीटर लंबा पुल देश का पहला पूर्णरूप से जुड़ा पुल है।
- असम से अरुणाचल प्रदेश के बीच की यात्रा दूरी घट कर चार घंटे रह जाएगी। इससे पहले यात्रियों को रेल भी कई बार रेल बदलनी पड़ती थी।
- दिल्ली से डिब्रूगढ़ रेल यात्रा समय तीन घंटे घट कर 34 घंटे रह जाएगा। इससे पहले यह दूरी 37 घंटे में तय होती थी।
- यह पुल और रेल सेवा धेमाजी के लोगों के लिए अति महत्वपूर्ण होने जा रही है क्योंकि मुख्य अस्पताल, मेडिकल कॉलेज और हवाई अड्डा डिब्रूगढ़ में हैं।
- ईटानगर के लोगों को भी लाभ मिलेगा क्योंकि यह इलाका नाहरलगुन से केवल 15 किलोमीटर की दूरी पर है।
- यह पुल इतना मजबूत है कि इस पर भारी टैंक और सैनिकों का साजो सामान आसानी से ले जाया जा सकेगा।
बता दें कि इस पुल की आधारशिला साल 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवेगौडा ने रखी थी। इसके बाद 2002 में सबसे लंबा रेल-सड़क पुल का निर्माण शुरु हो सका।
