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जयंती विशेष : भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अद्वितीय महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस

देश की स्वाधीनता के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित करने वाले, स्वतंत्रता संग्राम के महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी की

आज 23 जनवरी को 126वीं जयंती है I नेताजी सुभाष चंद्र बोस एक ऐसे महान क्रांतिकारी थे, जिन्होंने अपने विचारों से देश के लाखों लोगों को प्रेरित किया था I भारत की आजादी में अहम योगदान देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में एक संपन्न बंगाली परिवार में हुआ था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पिता का नाम जानकीनाथ बोस और मां का नाम प्रभावती था। जानकीनाथ बोस कटक शहर के मशहूर वकील थे। प्रभावती और जानकीनाथ बोस की कुल मिलाकर 14 संतानें थी, जिसमें 6 बेटियां और 8 बेटे थे। सुभाष चंद्र बोस उनकी नौवीं संतान और पांचवें बेटे थे।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 1937 में अपनी सेक्रेटरी और ऑस्ट्रियन युवती एमिली शेंकल से शादी की। 29 नवंबर 1942 को विएना में एमिली ने एक बेटी को जन्म दिया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अपनी बेटी का नाम अनीता बोस रखा। अनीता वर्तमान में जर्मनी में सपरिवार रहती हैं।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई कटक के रेवेंशॉव कॉलेजिएट स्कूल में हुई। तत्पश्चात् उनकी शिक्षा कलकत्ता के प्रेजीडेंसी कॉलेज और स्कॉटिश चर्च कॉलेज से हुई । सुभाष चंद्र बोस के पिता जानकीनाथ बोस की इच्छा थी कि सुभाष आईसीएस बनें। यह उस जमाने की सबसे कठिन परीक्षा होती थी। इण्डियन सिविल सर्विस की तैयारी के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस इंग्लैंड के केंब्रिज विश्वविद्यालय चले गए। उन्होंने 1920 में चौथा स्थान प्राप्त करते हुए आईसीएस की परीक्षा पास कर ली। 1921 में भारत में बढ़ती राजनीतिक गतिविधियों का समाचार पाकर बोस ने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली और जून 1921 में मानसिक एवं नैतिक विज्ञान में ट्राइपास (ऑनर्स) की डिग्री के साथ स्वदेश वापस लौट आये। सिविल सर्विस छोड़ने के बाद वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ जुड़ गए।

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक, आजाद हिन्द फौज के संस्थापक और जय हिन्द और ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा’का नारा देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अंग्रेजों से कई बार लोहा लिया, इस दौरान ब्रिटिश सरकार ने उनके खिलाफ कई मुकदमें दर्ज किए जिसका नतीजा ये हुआ कि सुभाष चंद्र बोस को अपने जीवन में 11 बार जेल जाना पड़ा। नेताजी सुभाषचन्द्र बोस 16 जुलाई 1921 को पहली बार, 1925 में दूसरी बार जेल गए थे ।

आजाद हिंद फौज की स्थापना टोक्यो (जापान) में 1942 में रासबिहारी बोस ने की थी लेकिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस के रेडियो पर किए गए एक आह्वान के बाद रासबिहारी बोस ने 4 जुलाई 1943 को नेताजी सुभाष को इसका नेतृत्व सौंप दिया । नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आज़ाद हिन्द फौज में ही एक महिला बटालियन भी गठित की, जिसमें उन्होंने रानी झांसी रेजिमेंट का गठन किया था और उसकी कैप्टन लक्ष्मी सहगल थी I उल्लेखनीय है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 30 दिसंबर 1943 को पोर्ट ब्लेयर की सेल्युलर जेल में पहली बार तिरंगा फहराया था।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर में 1943 में 21 अक्टूबर के दिन आजाद हिंद फौज के सर्वोच्च सेनापति के रूप में स्वतंत्र भारत की प्रांतीय सरकार बनाई। इस सरकार को जापान, जर्मनी, इटली और उसके तत्कालीन सहयोगी देशों का समर्थन मिलने के बाद भारत में अंग्रेजों की हुकूमत की जड़े हिलने लगी थी।

महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया जाता है, लेकिन बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि उन्हें यह उपाधि किसने दी थी? महात्मा गांधी को सबसे पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने राष्ट्रपिता कहा था, बात 4 जून 1944 की है जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर में एक रेडियो संदेश प्रसारित करते हुए महात्मा गांधी को पहली बार राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था।

मेरा (युद्धवीर सिंह लांबा) मानना है कि हमें नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी के बताए हुए मार्ग पर चलना चाहिए। जब तक हम उनकी दी गई शिक्षाओं को नहीं अपनाते तब तक हमारा जीवन अधूरा है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस देश के ऐसे महानायकों में से एक हैं जिन्होंने आजादी की लड़ाई के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। देश को आजादी दिलाने में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। युवाओं को भी उनके पद चिन्हों पर चलते हुए देश सेवा में अपना योगदान करना चाहिए।

लेखक : युद्धवीर सिंह लांबा, वीरों की देवभूमि धारौली, झज्जर – कोसली रोड, झज्जर, हरियाणा 9466676211 एक समाजसेवी है ।

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