लोकसभा चुनाव 2019 के लिए राजनीतिक गलियारे में हलचल अभी से शुरू हो चुकी है। सभी राजनीतिक पार्टियों ने अभी कमर कस ली है और साथ ही सांसदों में अपने टिकट को लेकर चिंता शुरू हो गई है। तीन राज्यों में हार का सामना करने वाली भाजपा इस बार पुराने चेहरों को सामने रख कर चुनाव लड़ सकती है या वरिष्ठ नेताओं को मैदान में उतार सकती है। इकोनॉमिक्स टाइम्स की खबर के मुताबिक भले ही मोदी सरकार लरिष्ठ नेताओं को मंत्री न बनाए लेकिन वो उनसे चुनाव लड़वा सकती है।
भाजपा के एक सीनियर नेता के हवाले से अखबार ने बताया कि भाजपा में 75 साल की उम्र में भले ही नेता मंत्री न बन सकें लेकिन उनपर चुनाव लड़ने की पाबंदी नही हैं। ऐसे में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी समेत भाजपा के कई वरिष्ठ नेता एक बार फिर से चुनावी मैदान में दमखम दिखा सकते हैं। वहीं इस बार कई चेहरे बदले भी जा सकते हैं और इसके लिए भाजपा-आरएसएस ने काम भी शुरू कर दिया। आरएसएस ने उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में अपने प्रभारी नियुक्त किए हैं, जो सांसदों को लेकर जनता की राय पर रिपोर्ट-कार्ड पेश करेंगे। इसी रिपोर्ट कार्ड के आधार पर भाजपा उम्मीदवारों का चयन करेगी।वहीं भाजपा अभी अपने बागी नेताओं जैसे- पटना साहिब से सांसद शत्रुघ्न सिन्हा को लेकर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रही है। शत्रु के बयान से कई बार भाजपा की फजीहत भी हुई लेकिन पार्टी की तरफ से कोई टिप्पणी नहीं की गई। अब भाजपा सिन्हा पर क्या फैसला लेगी तो बाद में ही पता चलेगा। दूसरी तरफ भाजपा के कई नेताओं ने लोकसभा चुनाव 2019 लड़ने से इंकार कर दिया है, जिनमें विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और कैबिनेट मंत्री उमा भारती शामिल हैं। भाजपा किसी भी सूरत में फिर से सत्ता में आना चाहती है और इसके लिए वह अपने बड़े-बुजुर्गों को आगे रखने पर विचार कर सकती है।
