नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों से फ्लोटिंग दर पर कर्ज लेने वाले ग्राहकों को ब्याज दर में कमी का लाभ देने में देरी के खिलाफ की गई शिकायत पर भारतीय रिजर्व बैंक से जवाब देने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस के कौल एवं न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने आरबीआई को लोक न्यास (पब्लिक ट्रस्ट) ‘मनीलाइफ फाउंडेशन’ को छह सप्ताह के भीतर उसकी शिकायत पर जवाब देने को कहा है।
RBI के खिलाफ याचिका दायर
ट्रस्ट ने दायर की गई शिकायत में आरोप लगाया है कि रेपो दर और रिवर्स रेपो दर को लेकर आरबीआई के फैसले के बावजूद बैंक और वित्तीय संस्थाएं ब्याज दरों में कमी लाने में सुस्त रुख अपनाते हैं। ग्राहकों को दर में कमी का लाभ देने में देरी की जाती है।रिजर्व बैंक हर दो महीने पर अपनी मौद्रिक नीति की समीक्षा करता है और रेपो रेट तय करता है। केंद्रीय बैंक रेपो दर के आधार पर ही बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों को अल्पकालिक कर्ज उपलब्ध कराता है। इसी दर से बैंकों में आगे ब्याज दर की दिशा तय होती है। रेपो दर में घटबढ़ से मकान एवं वाहनों के कर्ज सहित अन्य कर्ज के ईएमआई पर असर पड़ता है।
क्या कहा कोर्ट ने
पीठ ने कहा, ‘याचिकाकर्ता के मुताबिक इस विषय में लिए गए निर्णय के नतीजे के बारे में उसे जानकारी नहीं दी गई। इसके बाद याचिकाकर्ता के पास इस कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा। हमारा मानना है कि, इस स्तर पर रिजर्व बैंक को यह निर्देश दिया जाना चाहिए कि वह याचिकाकर्ता के 2017 के पत्र, ज्ञापन में दिए गए मामले पर अपने फैसले की जानकारी याचिकाकर्ता को छह सप्ताह के भीतर उपलब्ध कराए।’ कोर्ट ने ट्रस्ट और अन्य से कहा है कि अगर वह रिजर्व बैंक के जवाब से संतुष्ठ नहीं हो तो वह फिर से कोर्ट के समक्ष अपनी बात रख सकते हैं।


