उच्चतम न्यायालय ने केरल पुलिस को शुक्रवार को आदेश दिया कि सबरीमला मंदिर में प्रवेश करने वाली दो महिलाओं को चौबीस घंटे सुरक्षा मुहैया कराई जाए। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एल एन राव और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की एक पीठ ने कहा कि वह केवल दो महिलाओं की सुरक्षा के पहलू पर विचार करेगी और किसी अन्य अनुरोध की सुनवाई नहीं करेगी।
पीठ ने इस मामले को सबरीमला मामले की लंबित याचिकाओं से साथ जोडऩे से भी इनकार कर दिया। उल्लेखनीय है कि मंदिर में प्रवेश करने वाली एक महिला पर उसकी सास ने हमला किया था। उसने याचिका दायर करके दोनों महिलाओं की सुरक्षा की मांग की थी।
याचिका में यह निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया गया कि सभी आयुवर्ग की महिलाओं को बिना किसी रुकावट के मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी जाए और भविष्य में मंदिर में दर्शन की इच्छा रखने वाली महिलाओं को पुलिस सुरक्षा दिए जाने समेत उनका सुरक्षित प्रवेश सुनिश्चित किया जाए।

बता दें कि रजस्वला आयुवर्ग की दो महिलाओं कनकदुर्गा और बिंदू ने इस महीने की शुरुआत में सदियों पुरानी परंपरा तोड़ते और हिंदू संगठनों की धमकियों को नजरअंदाज करते हुए भगवान अयप्पा के सबरीमला मंदिर में प्रवेश किया था। मंदिर में 10 वर्ष से 50 वर्ष तक के आयुवर्ग की महिलाओं का प्रवेश वर्जित था। उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल 28 सितंबर को इस प्रतिबंध को हटाने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया था।