नई दिल्ली: मोदी सरकार जब सत्ता में आई तो उन्होंने जनता के साथ कई चुनावी वादे किए थे। इन सभी वादों में से एक था बेरोजगारी। सरकार ने वादा किया था कि वो हर साल काफी भारी मात्रा में रोजगार सृजन करेंगे। अब दिसंबर 2018 में हुए सी वोटर के एक सर्वे के अनुसार, वोटरों ने माना है कि जिन समस्याओं से भारत इस वक्त सबसे ज्यादा जूझ रहा है उनमें बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है। लोकसभा चुनाव में अब महज कुछ ही महीना बाकी है। ऐसे में मोदी सरकार के लिए बेरोजगारी काफी गंभीर मुद्दा बन सकता है जिससे चुनाव में उन्हें विपक्ष घेर सकता है।
सबसे ज्यादा कहां होगा बेरोजगारी का असर
मई 2018 में हुए लोकनीति सेंटर फॉर स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज के सर्वे के मुताबिक उत्तर भारत में इसका असर सबसे ज्यादा देखनो को मिलेगा। क्योंकि 37 प्रतिशत लोगों ने कहा कि बेरोजगारी उनके लिए एक बड़ी समस्या है। दक्षिण भारत की बात करे तो महज 16 लोगों ने माना की बेरोजगारी बड़ी समस्या है। उत्तर भारत में ही मोदी सरकार ने 2014 के लोकसभा के दौरान इस क्षेत्र से 151 में से 131 सीटें अपने नाम की थी। लेकिन इसबार अगर उत्तर भारत के लोग बेरोजगारी के आधार पर सरकार के विफल मान रही है तो सीटों का ये आंकड़ा कम हो सकता है।
क्यों बेरोजगारी को लेकर नहीं हुआ विरोध
किसानों में मोदी सरकार के फैसलों को लेकर जो गुस्सा था वो मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे देश के अलग-अलग हिस्सों में आंदोलन के रुप में देखने को मिला लेकिन बेरोजगारी को लेकर कभी कोई विरोध नहीं हुआ। अगर कभी विरोध देखने को भी मिला तो वो आरक्षण की मांग को लेकर था। गुजरात में पाटीदारों, महाराष्ट्र में मराठों, हरियाणा और राजस्थान में जाटों और आंध्र प्रदेश में कापुसों का आंदोलन। ये सभी समुदाय खेती-बारी से जुड़े हैं इसलिए इनके आंदोलन में बोरोजगारी और कृषि से जुड़ी समस्या दोनों शामिल हो गई।

लोगों का मानना नौकरी तलाशना हुआ मुश्किल
सीएसडीएस के सर्वे के मुताबिक 57 प्रतिशत लोगों का मानना है कि पिछले तीन से चार सालों में नौकरी तलाशने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
60 प्रतिशत का मानना मोदी सरकार के राज में नहीं आई कोई नौकरी
अगस्ता में इंडिया टुडे-कार्वी ने सर्वे किया था जिसके मुताबिक 60 प्रतिशत लोगों ने कहा था कि मोदी सरकार के राज में कोई नौकरी नहीं आई साथ ही उन्होंने ये फभी माना कि बेरोजगारी को खत्म करने की दिशा में भी बहुत कम ध्यान दिया गया है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कम ही लोग बीजेपी के लिए वोट देंगे।
मोदी को मानते थे प्रॉब्लम सॉल्वर
पिछले 18 महीनों में कई चीजें बदली है। लोगों ने मानना शुरु कर दिया है कि बीजेपी देश की बड़ी समस्याओं को सुलझधाने में नाकाम रही है। पहले लोगों को बीजेपी पर बहुत भरोसा था। वहीं जुलाई 2017 के सी-वोटर के सर्वे के मुताबिक, जब लोगों ये पूछा गया, देश की बड़ी समस्याओं को सुलझाने की कूबत किस पार्टी में है? 48 प्रतिशत लोगों ने बीजेपी को चुना। तब 48 प्रतिशत लोगों ने बीजेपी को चुना। कांग्रेस को चुनने वाले 8 प्रतिशत थे तो अन्य के पक्ष में 7 प्रतिशत थे। 2018 तक आते-आते ये तस्वीर बदल गई। अब 25 प्रतिशत लोगों का मानना है कि बीजेपी ने देश की बड़ी समस्याएं सुलझाई। 2017 के मुकाबले ये आंकड़ा आधा रह गया। तब बीजेपी और कांग्रेस में जो अंतर था, वो 40 प्रतिशत से घटकर 10 प्रतिशत पर आ गया। इसबार 15 प्रतिशत लोगों ने कहा कि देश की बड़ी समस्याओं को कांग्रेस ही सुलझा सकती है। 16 प्रतिशत लोगों ने दूसरों को चुना। हालांकि इसके बाद भी बीजेपी कांग्रेस से आगे है।
क्या कांग्रेस जीत लेगी बाजी
बेरोजगारी के मुद्दे से ज्यादा अभी तक कांग्रेस के लिए किसानों की समस्या, महिलाओं की सुरक्षा, जीएसटी और नोटबंदी का मुद्दा कांग्रेस के लिए ज्यादा कामगार साबिच हुआ है। वहीं लोकनीति सीएसडीएस के सर्वे में जिन लोगों ने बेरोजगारी को देश की सबसे बड़ी समस्या बताया है उनमें से 41 प्रतिशत ने बीजेपी को वोट देने की बात कही, जबकि 29 प्रतिशत ने कांग्रेस का पक्ष लिया।