मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर उठ रहे सवालों और मतपत्र से चुनाव कराने की विभिन्न दलों की मांग को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग मतपत्र के दौर में वापस नहीं लौटेगा। अरोड़ा ने आयोग द्वारा चुनाव प्रक्रिया को समावेशी एवं सहज बनाने के विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुये कहा कि मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि हम मतपत्र के दौर में वापस लौटने नहीं जा रहे हैं। उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को तकनीकी गड़बडिय़ों से बचाने के लिये किये गये उपायों का जिक्र करते हुये कहा कि इस मशीन को सार्वजनिक क्षेत्र की उन दो कंपनियों ने बेहद पुख्ता तकनीकी सुरक्षा उपायों से लैस करते हुये बनाया है, जो हमारे देश के रक्षा प्रतिष्ठानों के लिये बहुत उल्लेखनीय काम कर रही हैं।
अरोड़ा ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने वालों और मतपत्र की मांग करने वाले दलों का नाम लिये बिना कहा कि हम इसे (ईवीएम) फुटबॉल क्यों बना रहे हैं और इस पर छींटाकशी क्यों कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सम्मेलन में मौजूद लोग इस आरोप-प्रत्यारोप के सही या गलत होने पर फैसला करेंगे।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि एक बार फिर मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि यह सिर्फ मेरा ही नहीं बल्कि समूचे चुनाव आयोग का मत है कि हम मतपत्र के दौर में वापस लौटने नहीं जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उस दौर में वापस नहीं लौटा जा सकता है जबकि मतपत्र बाहुबलियों द्वारा लूटे लिये जाते थे, मतगणना में देर होती थी और मतदान र्किमयों का उत्पीडऩ भी होता था। इसलिये मौजूदा व्यवस्था ही कायम रहेगी।