नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लोगों को शिक्षा एवं रोजगार में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के केंद्र के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर विचार करने को सहमत है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 10 फीसदी आरक्षण पर फिलहाल कोई रोक नहीं होगी। साथ ही कोर्ट ने कहा कि वह 124वें संविधान संशोधन का भी परीक्षण करेगा। इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दायर याचिकाओं के आधार पर नोटिस जारी कर इस संबंध में चार हफ्ते के अंदर जवाब देने को कहा है।
बता दें कि इस मामले पर यूथ फॉर इक्वॉलिटी समेत कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई हैं और 124वें संविधान संसोधन को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्त्ताओं ने अपनी याचिकाओं में कहा कि आरक्षण का आधार आर्थिक नहीं हो सकता।
उल्लेखनीय है कि शीतकालीन सत्र में मोदी सरकार ने सवर्ण गरीबों को सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में दस फीसदी आरक्षण देने का बिल लाई जोकि लोकसभा और राज्यसभा में पास हो चुका है। इतना ही नहीं बिल को राष्ट्रपति की भी मंजूरी मिल गई. केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद कई राज्यों इसे लागू कर दिया है। गुजरात सरकार ने इस बिल को सबसे पहले लागू किया।
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चौधरी मोहन गुर्जर, मध्यप्रदेश के ह्र्दयस्थल हरदा के जाने माने वरिष्ठ पत्रकार है, आप सतत 15 वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी सेवायें देते आ रहे है, आपकी निष्पक्ष और निडर लेखनी को कई अवसरों पर सराहा गया है