छत्तरपुर: मध्यप्रदेश में सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं के चाहे लाख दावे कर ले लेकिन बुंदेलखंड में अस्पतालों में सुविधाओं के हालात बद से बदतर हो गए हैं। अगर किसी को तुरंत सहायता की जरुरत हो तो बेशक मरीज की जान क्यों न चली जाए लेकिन उसे सुविधा नहीं मिल पाती। ताजा मामला छतरपुर जिले का है जहां बमीठा क्षेत्र से आ रही गर्भवती महिला ने रास्ते में ही बच्चे को जन्म दे दिया।
जानकारी के मुताबिक जिले के बमीठा थाना क्षेत्र के ग्राम पाटन निवासी 30 वर्षिय अनीता कुशवाहा पति मोहन कुशवाहा को लेवर पेन हो रहा था। जिसे गंभीर हालत में बमीठा अस्पताल लाया गया। वहां बिना कोई उपचार किए एक दिन रखा और फिर दूसरे दिन एम्बुलेंस से छतरपुर रैफर कर दिया गया। अनीता की हालत इतनी गंभीर थी कि उसने रास्ते में ही चलती गाड़ी में बच्ची को जन्म दे दिया। एम्बुलेंस में कोई आपरेट करने वाला न होने के कारण प्रसूता की सास ने ही जच्चा-बच्चा को संभाला और बच्चे को हाथ में ही लेेकर अस्पताल आई। जहां डॉक्टरों ने अनीता की सेहत तो सही बताई लेकिन बच्चे की हालत गंभीर बताई है।
दरअसल रास्ते में डिलीवरी हो जाने के कारण नवजात भयानक ठंड और शीतलहर की चपेट में आ गया। इसलिए बच्चे को जिला अस्पताल के गहन चिकित्सा वार्ड में मशीन में रखा है।वहीं इस मामले पर जब जिम्मेदारों से बात करनी चाही तो वह मामला संज्ञान में आने पर खुद को बचाते नज़र आए और किसी भी तरह की बयानबाजी से बचते नजर आए। बता दें कि यह अनीता की छठवीं बेटी है। हर बार बेटे की चाहत में बेटियां ही पैदा होती गई। इस बार उन्हें उम्मीद थी कि बेटा होगा। लेकिन नतीजा इसके विपरीत निकला। वहीं अब अनीता ने ऑपरेशन कराने का मन बना लिया है।
खस्ताहाल है जिला अस्पताल
वहीं डिलीवरी के बाद अनीता जैसे कई मरीज हैं जिन्हें बैड तक नसीब नहीं होता। अस्पताल की हालत इतनी दयनीय है कि प्रसूता नवजात बच्चे के साथ जमीन पर लेटने को मजबूर हैं। इस कड़कड़ाती ठंड में एक बैड तो क्या मरीज चादर के लिए भी मोहताज हैं और सीमेंट की बोरियां बिछाकर अपना इलाज करवा रहें हैं।

अस्पताल में मरीजों के बीच कुत्ते घूमते नजर आते हैं। जिला अस्पताल मानव अस्पताल कम व पशु चिकित्सालय ज्यादा लगता है।
वहीं इस मामले पर जब जिम्मेदार आलाअधिकारियों से बात करनी चाही तो वह मामला संज्ञान में आने पर खुद को बचाते नज़र आए और किसी भी तरह की बयानबाजी से बचते नजर आए।