गहाल (सुनील राजपूत)-हथिया अष्टमी से प्रारंभ होता है महिलाओं का अबोला व्रत जो कि पड़मा तक चलता है नवदिवसीय अबोला का पर्व पति की दीर्घायु और परिवार की सुख शांति और समृद्धि के लिए श्राद्ध पक्ष में अबोला व्रत की शुरुआत की जाती है यह अबोला व्रत महिलाओं का विशेष माना गया है यह कुंआर की हथिया अष्टमी से शुरुआत होता है जो पड़मा तक चलता रहता है इसमें महिलाएं महिलाएं समूह बनाकर किसी एक महिला के यहां जवारे बोती हैं और रोजाना उनकी पूजा अर्चना की जाती है महिलाओं द्वारा अबोला बिना बोले रहकर पूजन अर्चना की जाती है महिलाओं ने सामूहिक रुप में सुबह और शाम पूजन व आरती का लाभ ले रही हैं शाम के वक्त महिलाओं की भीड़ रहती है और भगवान शिव पार्वती के जयकारे लगते रहते हैं सुबह शाम भगवान भोले नाथ की हरमोनियम ढोलक मंजिरा के साथ आरती पूरी भक्ति भाव के साथ की जाती है ग्राम की एक महिला श्रीमती संगीता कुशवाहा ने बताया कि यह व्रत भगवान शिव पार्वती की आराधना से जुड़ा है इस व्रत में सेवा माय श्रीमती सेलजा पाराशर द्वारा 9 दिन तक महिलाओं से अबोला व्रत की सेवा और पूजा अर्चना कराती है।हथिया अष्टमी से शुरू होता है यह व्रत जो पडमा तक नव दिवसिय तक चलता है इसमें महिलाएं 9 दिन ही श्रंगार कर श्रद्धा भाव से शिवभगवान की पूजन आरती करती अंत में गाजे-बाजे के साथ भगवान शिव और पार्वती के भजनों के साथ जवारों का विसर्जन किया जाता है और अंत में भंडारा कन्या भोज भी कराया ,महिलाओ मैं श्रीमती सुंदर ,उमा, रानी, रेशमकुशवाहा,श्रीमती सुधा राजपूत,शोभा राजपूत, सुशीला राजपूत, मोनिका ,बबली,रजनी, विद्या रानी ,लगभग 50 महिलाओ ने व्रत किया


