ब्रेकिंग
10 हजार के अंदर पाएं टॉप 5G स्मार्टफोन, कीमत के साथ फीचर्स भी है नंबर वन, देखिए लिस्ट Fixed Deposit Scheme : खुश हुए इन बैंकों के खाताधारक, 399 दिनों की एफडी पर मिल रहा ज्यादा ब्याज Harda big news: फर्जी वसीयत बनाने वाले आरोपियों को 7 साल की जेल,10 हजार जुर्माना Harda Big News : छिपाबड़ जीतू पंडित मर्डर केस, सिर में गोली मारकर हत्या करने वाला मुख्य शूटर गिरफ्ता... Harda News : गुरव समाज ने श्री महर्षि दधीचि की जयंती महोत्सव, धूमधाम से मनाया बाइक रैली निकाली। Harda News : ‘खेलो एमपी यूथ गेम्स’’ के तहत जिला स्तरीय खेल प्रतियोगिताएं 24 सितम्बर को | Harda News : ‘‘विकास रथ’’ 24 सितम्बर को से टिमरनी क्षेत्र की पंचायतों का भ्रमण कर विकास कार्यों की ज... Harda : किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए कृषि मंत्री कमल पटेल ने जारी किया टोल फ्री नंबर | Harda News : कलेक्टर श्री गर्ग ने शांति समिति की बैठक में की अपील | Harda News : अबगांवखुर्द में ‘मतदाता सूची सशक्तिकरण शिविर’ 24 मार्च लगेंगे |

सर्व सिद्धि की प्राप्ति के लिए होती है देवी ब्रहाचारिणी की पूजा

ब्रहाचारिणी माता-
वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्‌ ।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्‌ ॥

नवरात्र पर्व के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी मां दुर्गा का द्वितीय यानि दूसरा स्वरूप है। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानि आचरण करने वाली। ब्रह्मचारिणी मां की पूजा करने से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है। शास्त्रों में मां के हर रूप की पूजा विधि और कथा का महत्‍व बताया गया है। मां ब्रह्मचारिणी की कथा जीवन के कठिन समय में डटकर मुश्किलों का सामना करने के लिए प्रेरित करती है।

ब्रहाचारिणी मंत्र-
या देवी सर्वभू‍तेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥ 

देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य है। मां अपने इस रूप में दाएं हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में कमंडल धारण किए हुए हैं।

देवी ब्रह्मचारिणी कथा-
ब्रहाचारिणी माता की कथा के अनुसार पूर्वजन्म में इस देवी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारद जी के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। एक हजार वर्ष तक इन्होंने केवल फल-फूल खाकर बिताए और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर जड़ी-बूटी पर निर्वाह किया।

कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट सहे। तीन हज़ार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना करती रही। इसके बाद तो उन्होंने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए। कई हज़ार वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रही। पत्तों को खाना छोड़ देने के कारण इनका नाम अपर्णा पड़ गया।

कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम कमज़ोर हो गया। देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या की सराहना की और कहा- हे देवी आज तक किसी ने इस तरह की कठोर तपस्या नहीं की, यह आप से ही संभव थी। आपकी मनोकामना परिपूर्ण होगी और भगवान चंद्रमौलि शिवजी आपको पति रूप में ज़रूर प्राप्त होंगे। अब तपस्या छोड़कर घर लौट जाओ। जल्द ही आपके पिता आपको लेने आ रहे हैं। मां की कथा का सार यह है कि जीवन के कठिन संघर्षों में भी मन विचलित नहीं होना चाहिए। मां ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से सर्व सिद्धि प्राप्त होती है। इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात ब्रह्मचारिणी नाम से जाना जाता हैं।

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More

Don`t copy text!