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चार साल के उच्चतम स्तर पर पहुंची कच्चे तेल की कीमतें

नई दिल्लीः ईरान पर अमरूकी प्रतिबंध के अगले माह से लागू होने के दबाव में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत मंगलवार को चार साल के उच्चतम स्तर पर पहुँच गई। ईरान पर अगले माह चार नवंबर से अमेरिका का प्रतिबंध लागू हो जायेगा। ईरान पर प्रतिबंध के कारण तेल बाजार में आपूर्ति संकट की चिंता बढ़ रही है। इन चिंताओं के बीच लंदन का ब्रेंट क्रूड वायदा आज कारोबार के दौरान 0.4 प्रतिशत की तेजी में 85.28 डॉलर प्रति बैरल पर पहुँच गया।

क्यो आया कीमतो में उछाल 
अमरीका का कच्चा तेल वायदा भी 76 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुँच गया, जो नवंबर 2014 के बाद का उच्चतम स्तर है।  पूरी दुनिया में प्रतिदिन करीब 10 करोड़ बैरल कच्चे तेल की खपत होती है। ईरान ने इस साल इसके तीन फीसदी हिस्से की आपूर्ति की। लेकिन, प्रतिबंध की तारीख नजदीक आने से पहले ही अन्य देशों ने ईरान से खरीद कम करनी शुरू कर दी जिससे इसका निर्यात तीन साल के निचले स्तर 16 लाख बैरल प्रतिदिन पर आ गया।

अमरीका ने तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक और रूस से आग्रह किया था कि वे इस संकट को देखते हुए अपने उत्पादन में बढ़ोतरी करें। हालांकि अमेरिका ने आपूर्ति बढ़ाने के लिये खुद अपने रणनीतिक पेट्रोलियम रिजर्व के इस्तेमाल से इनकार कर दिया। रूस ने इस बीच सितंबर में अपने उत्पादन में तेजी लायी और यह करीब 1.14 करोड़ बैरल प्रतिदिन पर पहुँच गया। इससे पहले अगस्त में रूस का तेल उत्पादन 1.12 करोड़ बैरल प्रतिदिन रहा था।

कारोबारियों की नजर लगातार बाजार पर बनी हुई है कि कैसे ओपेक देश और अमेरिका आपूर्ति संकट से निपटेंगे। विश्लेषकों के मुताबिक, यदि कच्चे तेल की कीमतों में तेजी का सिलसिला इसी तरह जारी रहा तो वैश्विक आर्थिक विकास दर प्रभावित होगी।   अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ दिन पहले कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी के लिए ओपेक और रूस की निंदा की थी और कहा था कि ओपेक और उसके सदस्य देश पूरी दुनिया को लूट रहे हैं, जो अमेरिका को पसंद नहीं है। हालांकि फिर गत शनिवार को इसी सिलसिले में  ट्रंप ने सऊदी अरब के शाह सलमान से बात की कि कैसे ईरान पर प्रतिबंध के कारण आने वाले आपूर्ति संकट से निपटा जाएगा।

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