ब्रेकिंग
Harda news: गुम हुई नाबालिग को 48 घण्टे में नहीं खोज पाई पुलिस, अनिश्चितकालीन धरने का आज दूसरा दिन, ... MP Assembly Election 2023 : BJP की दूसरी लिस्ट आई सामने, 3 केंद्रीय मंत्री और 4 सांसदों को टिकट Big News : सिराली में अभिजीत शाह के नेतृत्व में जंगी प्रदर्शन, अर्द्धनग्न होकर पहुंचे तहसील कार्यालय... संत महर्षि दधीचि जयंती बगीचा बनाने का संकल्प लिया शिवसेना, पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाने से नहीं बनेगा क... कांग्रेसियों का अनोखा विरोध प्रदर्शन, कांग्रेसियों ने शहर के बीच चांद वाली सड़क पर खाट डालकर, पेड़ ल... ग्राम हापला में क्षतिग्रस्त पुलिया से विद्यार्थियों को स्कूल जाने में हो रही परेशानी के विरोध में अभ... पं. प्रदीप मिश्रा की खण्डवा की शिवपुराण कथा चुनाव आचार संहिता के कारण निरस्त : शीघ्र ही कथा होगी। Harda News : दावे आपत्तियों के निराकरण के बाद ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की चयन सूची जारी होती है MP Election News : टिकट मिलने से हैरान विजयवर्गीय PM मोदी पर ये क्या बोल गए, जानें Harda News : ‘‘विकास रथ’’ में फिल्म देखकर ग्रामीण ले रहे हैं विकास कार्यों की जानकारी

Research: वैज्ञानिकों ने भारतीय बच्चों के खून को लेकर किया खतरनाक दावा

मेलबर्न: ऑस्ट्रेलिया में मैकक्वेरी विश्वविद्यालय के अनुसंधान कर्मियों ने भारतीयों के खून में शीशा के स्तर को लेकर खतरनाक व चौंकाने वाल दावा किया है । वैज्ञानिकों के अब तक के पहले बड़े विश्लेषण  दावा किया गया है भारतीय बच्चों के खून में शीशा की अत्यधिक मात्रा से उनकी बौद्धिक क्षमता बुरी तरह प्रभावित हो सकती है।  इससे अन्य बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है। इस अध्ययन में पाया गया कि बीमारी का खतरा पहले के आकलन की तुलना में काफी बढ़ चुका है।
इसका बच्चों में बौद्धिक अक्षमता के उपायों पर नकरात्मक असर पड़ता है। मैकक्वेरी विश्वविद्यालय के ब्रेट एरिक्सन ने कहा कि भारत में रह रहे बच्चों में बौद्धिक क्षमता पर दुष्प्रभाव बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनके खून में शीशा के मिश्रण का स्तर करीब सात माइक्रोग्राम प्रति डेसीलीटर है। अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि भारतीयों के रक्त में शीशा के उच्च स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि के लिए बैट्री गलन क्रिया जिम्मेदार है और भारत में बैट्री रिसाइकिल की प्रक्रिया की व्यवस्था ठीक नहीं है।
एरिक्सन ने कहा, ‘भारत में काफी तादाद में लोग मोटरसाइकिल या कारें चलाते हैं और उसकी बैट्री का जीवन सिर्फ दो साल होता है। इस्तेमाल लेड बैट्रियों की संख्या काफी है, जिन्हें हर साल रिसाइकिल किया जाता है। उन्होंने कहा कि इन्हें प्राय: अनौपचारिक रूप से बेहद कम या नगण्य प्रदूषण नियंत्रकों के साथ रिसाइकिल किया जाता है, जो समूचे शहरी इलाकों की हवा में पाया जाने वाला अहम लेड प्रदूषक सम्मिश्रण बन जाता है। अनुसंधानकर्ताओं  के अनुसार आयुर्वेदिक औषधि, आइलाइनर, नूडल्स और मसाले सहित ऐसे अन्य पदार्थ भी हैं, जो बच्चों के खून में शीशा का स्तर बढ़ाते हैं।
अनुसंधान की गणना के अनुसार, वर्ष 2010 से 2018 के बीच खून में शीशा के स्तर को बताने वाले आंकड़े से बौद्धिक क्षमता में कमी और रोगों के लिए जिम्मेदार डिजैबिलिटी अडजस्टेड लाइफ इयर्स (डीएएलवाइ) का पता चलता है। डीएएलवाइ से यह पता चलता है कि खराब स्वास्थ्य, अक्षमता और असमय मृत्यु के कारण हम कितने साल गंवा बैठे। पूर्व के अध्ययनों के अनुमान के अनुसार, शीशा से प्रेरित डीएएलवाइ से 46 लाख लोग प्रभावित हुए और 165,000 लोगों की मौत हुई।नए अध्ययन में यह पता चला कि डीएएलवाइ की संख्या बढ़कर 49 लाख हो सकती है।

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More

Don`t copy text!