नई दिल्ली: पहाड़ों से आ रही सर्द ठंडी हवा के साथ दिल्ली एनसीआर में एक और खतरा काली चादर का भी आ रहा है, जो आने वाले 24-48 घंटे में दिल्ली और एनसीआर को अपने आगोश में ले लेगा। इस काली चादर से जहां राजधानी में धुंध छा जाएगी वहीं प्रदूषण का स्तर इस कदर बढ़ जाएगा कि लोगों को सांस लेना आसान नहीं होगा। विशेषज्ञों के मुताबिक ये आने वाला प्रदूषण अन्य वर्षों की तुलना में बेहद ज्यादा है जिससे अधिकांश लोगों को दिक्कतें होंगी। वहीं दूसरी तरफ इस काली चादर के आहट के बाद भी दिल्ली सरकार ने हरियाणा और पंजाब से मांग की है कि पराली जलाने से रोकने के लिए कदम उठाए जाएं, जिससे दिल्ली के लोगों को समस्या न हो। करना पड़े लेकिन उसके बावजूद इस पर कोई असर नहीं दिखा है। बताया जाता है कि मौजूदा हवा के रुख के देखते हुए आने वाले दो दिनों में दिल्ली की हवाएं जहरीली हो जाएंगी।
ये है मौजूदा हालात
रविवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 208 रहा जो ‘खराब’ श्रेणी में आता है। राजधानी में सबसे बुरे हालत आनंदविहार इलाके में हैं जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 261 दर्ज किया गया।
अगर ये होता तो शायद नहीं होती दिल्ली की हवा जहरीली
नीति आयोग के तहत 2017 में केंद्र सरकार को सुझाव दिया गया था कि पराली का संकट हर साल होगा। इसलिए इस पर कारगर कदम उठाए जाने चाहिए। नीति आयोग ने सिफारिश की थी कि पराली संकट और दिल्ली की आबोहवा बचाने के लिए 3,200 करोड़ रुपए खर्च करने की जरूरत है। इस पर केंद्र ने प्रस्ताव बनाया और 1,700 करोड़ रुपए की योजना तैयार की। लेकिन ये कागजों में ही सिमटी हुई है। इस संबंध में हरियाणा और पंजाब सरकार को कहा गया था कि वे इस पर नीति बनाएं और किसानों के लिए ऐसी मशीनें खरीदने की योजना लेकर आएं कि जिससे खेतों में पड़े पराली को इकट्ठा कर खाद बनाया जाए, लेकिन इस पर किसी भी राज्य सरकार ने कार्य नहीं किया।
सरकार ने उठाए हैं ये कदम
राज्यपाल अनिल बैजल द्वारा जारी एडवाइजरी के बाद जानकारी दी गई कि नगर निगम ने एक जनवरी, 2018 से लेकर अब तक गैर अनुरूप क्षेत्रों में 10,196 उद्योगों पर कार्रवाई की है, जबकि डीपीसीसी ने 1,368 उद्योगों को कारण बताओ नोटिस भेजा है और 417 औद्योगिक इकाइयों को बंद करने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा 1018 उद्योगों में ईंधन को पीएनजी में तब्दील कर दिया गया है। पर्यावरण मार्शलों द्वारा की गई कार्रवाई के बारे में बताया गया कि अगस्त 2018 तक उन्होंने नियम उल्लंघन के 9,845 मामले पाए थे, जिनमें से 95 फीसद का निपटारा उन्होंने खुद साइट पर कर दिया।
ये पैमाना है वायु गुणत्ता मापने का
एक्यूआई 0-50 के बीच ‘अच्छा’
51-100 के बीच ‘संतोषजनक’,
101-200 के बीच ‘मध्यम’,
201-300 के बीच ‘खराब’,
301-400 के बीच ‘बेहद खराब’
401-500 के बीच ‘गंभीर’
इस उम्र के लोग बचें जहरीली हवा से
प्रदूषण सबसे पहले बच्चों और बुजुर्गों को अपना शिकार बनाता है, ऐसे में हर तरह के मौसम और हवा में 5 साल से कम उम्र के बच्चों और 65 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों का खास ध्यान रखना चाहिए। बच्चों को इस तरह की प्रदूषित हवा में कम से कम बाहर निकलना चाहिए।


