नई दिल्लीः भारत में चले #MeToo अभियान की बाढ़ में जहां कई हस्तियां घेरे में आ गई हैं वहीं इसी बीच दिल्ली की सेशन कोर्ट ने इस पर अहम टिप्पणी की है। रोहिणी स्थित कोर्ट ने कहा कि घटना के कुछ समय बाद यौन शोषण का आरोप अमान्य होगा। कोर्ट ने कहा कि जरूरी नहीं है कि महिला के साथ हुई अपराधिक घटना को छेड़छाड़ या दुर्व्यवहार के आरोप के नजरिए से देखा जाए। कोर्ट ने यह बात आज एक मामले की सुनवाई के दौरान कही। दरअसल एक महिला ने अपने एक रिश्तेदार पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया था। उसने यह आरोप घटना के काफी दिनों बाद लगाया।
इसी साल 22 सितंबर को महिला ने रिश्तेदार के खिलाफ मारपीट की शिकायत दी थी। इस मामले में महिला की मां और भांजे का भी बयान लिया गया लेकिन कही भी छेड़छाड़ की बात सामने नहीं आई। न ही पीड़िता ने एमएलसी कराते समय डॉक्टरों के सामने छेड़छाड़ की बात कही। हालांकि घटना के कुछ दिन बाद उसने अपने रिश्तेदार पर छेड़छाड़ का आरोप लगा दिया। मामला सेशन कोर्ट पहुंचा तो इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट महिला की मां को गवाह के तौर पर बुलाया। मां ने कोर्ट के सामने ऐसी किसी भी तरह की घटना से मना कर दिया।
सभी सबूतों और बयानों को सुनने के बाद एडिशनल सेशन कोर्ट जज जितेंद्र मिश्रा ने महिला के आरोप को जायज नहीं माना और कहा कि अगर असल में महिला के साथ छेड़छाड़ हुई थी तो उसने उसी वक्त क्यों नहीं शिकायत की। कोर्ट ने कहा कि यह एक प्रवृति सी बन गई है कि जब महिला-पुरुष के बीच कहासुनी होती है तो इसे उत्पीड़न और दुर्व्यवहार का रूप दे दिया जाता है जोकि सही नहीं है।
