वॉशिंगटन: अमरीका जल्द ही H1-B वीजा पॉलिसी में बदलाव कर सकता है जिसका असर अमरीका में काम कर रहे 1 लाख भारतीय लोगों पर होगा। दरअसल ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन ने एच-1बी वीजा पॉलिसी में बदलाव का प्रस्ताव भेजा है जिसके तहत अमरीकी कंपनियों में वही विदेशी कर्मचारी काम कर पाएंगे जो सर्वश्रेष्ठ होंगे। अमरीका के 50 राज्यों में 100 भारतीय कंपनियां हैं। इनमें 1 लाख 13 हजार लोग काम कर रहे हैं।
बदल चाहते है रोजगार की परिभाषा
बुधवार को अमरीका के गृह विभाग और यूएस सिटीजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विस (यूएससीआईएस) ने जनवरी 2019 के लिए प्रस्ताव तैयार किया है। इसके मुताबिक, एच-1बी वीजा उन्हीं विदेशी कर्मचारियों को दिया जाएगा जो अपने काम में अव्वल रहे हैं। अमरीकी गृह मंत्रालय के मुताबिक- हम सही मायने में रोजगार की परिभाषा बदलना चाहते हैं ताकि कंपनी और कर्मचारी के संबंधों को बेहतर बनाया जा सके। साथ ही अमरीकी कर्मचारियों और उनकी तनख्वाह को सुरक्षित किया जा सके।
एच-1बी वीजाधारकों के मिलती है उचित तनख्वाह
प्रस्ताव में एच-1बी वीजाधारकों को उचित तनख्वाह मिलने की भी बात कही गई है। गृह मंत्रालय ने यह प्रस्ताव भी दिया है कि एच-1बी वीजाधारकों की एच-4 वीजा प्राप्त पत्नियों को रोजगार के लिए एलियन एलिजिबल माना जाएगा। अमेरिका में एक एलियन रजिस्ट्रेशन कार्ड जारी किया जाता है। इसके धारक को वैध प्रवासी माना जाता है जिसे अमरीका में काम करने और रहने का अधिकार होता है। अमरकी गृह मंत्रालय के मुताबिक- सामान्य रूप से एच-1बी वीजा की मांग काफी ज्यादा रहती है। हम आवेदनों के लिए इलेक्ट्रॉनिक रजिस्ट्रेशन प्रोग्राम लाने पर विचार कर रहे हैं। इसके तहत इमिग्रेशन सर्विस एच-1बी आवेदनों को बेहतर तरीके से व्यवस्थित कर सकेंगी।
क्या है एच-1बी वीजा
एच-1बी एक नॉन-इमिग्रेंट वीजा है जिसे अमेरिकी कंपनी में काम करने वाले विदेशी कर्मचारियों के लिए जारी किया जाता है। टेक कंपनियां इसी आधार पर भारत-चीन जैसे देशों से हजारों कर्मचारियों को अपने यहां बुलाती हैं। सामान्य रूप से विदेशी कर्मचारियों के लिए इस वीजा की अवधि तीन से छह साल होती है।


