लंदनः ब्रेक्जिट (यूरोपीय यूनियन से अलग होने का मुद्दा) को लेकर शनिवार को 6,70,000 लोगों ने लंदन में रोष मार्च किया। इस मुद्दे पर चुनी गई ब्रिटिश प्रधानमंत्री थरेसा मे सरकार के लिए यह प्रदर्शन बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। ब्रेक्जिट पर वार्ता के बीच इतना बड़ा विरोध प्रदर्शन पहली बार हुआ है। प्रदर्शन दौरान यूरोपीय यूनियन में बने रहने की मांग की मांग की गई। 2016 में ब्रेक्जिट पर हुए मतदान में 52 प्रतिशत लोगों ने यूरोपीय यूनियन से अलग होने पर राय जताई थी।
प्रदर्शनकारी ईयू का नीले और सुनहरे रंग का झंडा हाथ में लेकर ब्रेक्जिट वार्ता को रद करने की मांग कर रहे थे। यह वार्ता यूरोपीय यूनियन से ब्रिटेन के रिश्ता तोड़ने के सिलसिले में चल रही है। 28 यूरोपीय देशों का संगठन यूरोपीय यूनियन दुनिया में व्यापार का सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म है।
प्रदर्शन आयोजित करने वाले लोगों में शामिल जेम्स मैकग्रोरी के अनुसार लोगों को एहसास हो रहा है कि ब्रेक्जिट का उनकी जिंदगी और आने वाली पीढि़यों पर बुरा असर पड़ेगा। इसलिए अब ज्यादातर लोग अब यूरोपीय यूनियन के साथ बने रहना चाहते हैं।
प्रदर्शनकारी हाइड पार्क में एकत्रित हुए और वे डाउनिंग स्ट्रीट स्थित प्रधानमंत्री आवास के सामने से गुजरते संसद तक गए। वहां पर जाकर जुलूस का रास्ता पूरा हुआ। सन 2003 में इराक युद्ध में ब्रिटेन के शामिल होने के फैसले के खिलाफ हुए प्रदर्शन के बाद यह हाल के दशकों में सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन था।


