सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर विवाद जारी है। ‘दर्शन’ के आखिरी दिन, सोमवार को रजस्वला आयु वर्ग की महिलाओं द्वारा प्रवेश की योजना बनाए जाने की खबरों के बीच मंदिर एवं उससे जुड़े अन्य श्रद्धा केंद्रों पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई। नैष्ठिक ब्रह्मचारी के मंदिर में 10 से 50 साल की आयु वर्ग की लड़कियों एवं महिलाओं के प्रवेश का विरोध कर रहे श्रद्धालु घने जंगल में स्थित मंदिर तक जाने से उन्हें रोकने के लिए सबरीमला सन्नीधानम मंदिर परिसर में डेरा डाले बैठे हैं।
सबरीमाला सन्नीधानम, पम्बा, निलाकल और इलावुमकल में आपराधिक दंड संहिता की धारा 144 लागू किए जाने के बावजूद सैकड़ों अयप्पा श्रद्धालुओं ने करीब 12 महिलाओं को मंदिर तक जाने से रोका और भगवान अयप्पा के दर्शन करने की उनकी मंशा पर पानी फेर दिया। ताजा खबरों के मुताबिक, मंदिर में सभी महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने वाले उच्चतम न्यायालय के फैसले के आधार पर एक महिला ने मंदिर में प्रार्थना करने देने के लिए पुलिस से मदद मांगी।
प्रसिद्ध मंदिर में रजस्वला आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश को लेकर विवाद आज छठे दिन भी जारी रहा। कुछ महिलाओं के मंदिर जाने की खबरों के बाद पुलिस ने सन्नीधानम और अन्य इलाकों में सुरक्षा कड़ी कर दी। महिला श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तैनात शीर्ष अधिकारी, पुलिस महानिरीक्षक एस श्रीजीत ने सोमवार सुबह भगवान अयप्पा के मंदिर में पूजा की। स्थानीय मीडिया ने नम आंखों से प्रार्थना करते हुए अधिकारी की तस्वीरें प्रसारित की।
कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच कार्यकर्ता रेहाना फातिमा को मंदिर तक ले जाने के लिए श्रीजीत को श्रद्धालुओं की नाराजगी का सामना करना पड़ा था। हालांकि अयप्पा श्रद्धालुओं के कड़े विरोध के चलते पुलिस उन्हें मंदिर के भीतर नहीं ले जा सकी। श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या ने रविवार को छह महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश से रोक दिया था। इसके अलावा नाटकीय घटनाक्रम के बीच छह तेलुगु भाषी महिलाओं को भी प्रसिद्ध मंदिर तक जाने से रोका गया। इन घटनाक्रम से साफ होता है कि सोमवार को मासिक पूजा के बाद बंद हो रहे मंदिर में 10 से 50 साल के आयु वर्ग की कोई भी महिला अब तक वहां नहीं पंहुच पाई है।
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चौधरी मोहन गुर्जर, मध्यप्रदेश के ह्र्दयस्थल हरदा के जाने माने वरिष्ठ पत्रकार है, आप सतत 15 वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी सेवायें देते आ रहे है, आपकी निष्पक्ष और निडर लेखनी को कई अवसरों पर सराहा गया है