लखनऊः सुप्रीम कोर्ट अयोध्या की राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि को तीन भागों में बांटने वाले 2010 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई करेगा। जस्टिस गोगोई, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस जोसेफ की नई बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी।
क्या है अयोध्या मामला?
राम मंदिर के लिए होने वाले आंदोलन के दौरान 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था। इस मामले में आपराधिक केस के साथ-साथ दीवानी मुकदमा भी चला। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 सितंबर, 2010 को अयोध्या टाइटल विवाद में फैसला दिया था। फैसले में कहा गया था कि विवादित जमीन को 3 बराबर हिस्सों में बांटा जाए। सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान और हिंदू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। दूसरी तरफ, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अर्जी दाखिल कर दी।
इसके बाद, इस मामले में कई और पक्षकारों ने याचिकाएं लगाई। एक पक्ष ने कहा कि मामला संवैधानिक पीठ में जाए और अन्य ने कहा कि इसे जल्द निपटाएं। सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई, 2011 को इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए मामले की सुनवाई करने की बात कही थी। सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट में इसके बाद से यह मामला लंबित है।


