इंदौर: प्रदेश में विधानसभा चुनाव के चलते प्रशासन भी सक्रिय हो गया है। चुनाव के दौरान ड्यूटी दे रहे कर्मचारियों पर शिकंजा कसते हुए निर्देश जारी किए हैं कि, जिन कर्मचारियों ने ड्यूटी निरस्त कराने के आवेदन दिए हैं, अगर मेडिकल बोर्ड जांच में झूठे पाए गए तो उन्हें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ती दी जा सकती है। दूसरे जिलों में इस तरह की प्रक्रिया सामने आने के बाद जिला प्रशासन इंदौर भी इस बात की पड़ताल कर रहा है।
दरअसल, अब तक प्रशासन के पास ड्यूटी कैंसल करवाने के 1 हजार से अधिक आवेदन पहुंच चुके हैं। जिनमें से ज्यादातर ने स्वास्थ्य संबधी कारण दिए हैं। इसके अलावा बैंक और बीमा सेवाओं के कर्मचारी और डबल ड्यूटी वाले भी केस सामने आए हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए मंगलवार को निर्वाचन कार्य से संबंधित अधिकारियों की बैठक में कलेक्टर निशांत वरवड़े ने ऐसे लोगों की सूची बनाने के लिए कहा है जो, वालंटरी रिटायरमेंट की श्रेणी में आते हैं।|
सरकारी नियम के अनुसार जिस कर्मचारी की सेवा 20 साल हो चुकी है या, आयु 50 वर्ष से अधिक हो चुकी है, उन्हें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दी जा सकती है। हांलाकि गंभीर बीमार व्यक्ति को चुनाव ड्यूटी से कारण बता कर मुक्त करने का प्रावधान है, लेकिन इसकी आड़ में कुछ कर्मचारी सक्षम होने के बावजूद ड्यूटी से पलड़ा झाड़ते हैं। ऐसे कर्मचारियो से अधिकारियों द्वारा चुनाव के अलग- अलग कार्य करवाना सिरदर्द बन जाता है। इसलिए शासन ने यह सख्त कदम उठाया है।


