रायपुर। कोषाध्यक्ष द्वारा बिल पास न करने से नाराज होकर इस्तीफा देने वाले चेम्बर अध्यक्ष जितेन्द्र बरलोटा का इस्तीफा नामंजूर हो गया है। सत्रह दिन चले मान-मनौवल के ड्रामे के बाद मंगलवार दोपहर को चेम्बर संरक्षक मंडल और वरिष्ठ पदाधिकारियों की बैठक हुई। करीब तीन घंटे चली इस बैठक में अध्यक्ष, महामंत्री और कोषाध्यक्ष को मिलजुलकर काम करने के लिए मना लिया गया।
इस बैठक में दूसरा प्रमुख मुद्दा अनुशासन समिति द्वारा कार्रवाई न कर पाने का उठा। इस पर तीखी बहस हुई, फिर निर्णय लिया गया कि कार्यकारिणी की अगली बैठक में अनुशासन समिति को अधिकार देने का प्रस्ताव आएगा। अभी अधिकार न होने के कारण अनुशासन समिति कोई कार्रवाई नहीं कर पाती।
बताया जा रहा है कि अधिकार मिलने के बाद अनुशासन समिति अनुशासनहीनता और अन्य मुद्दों को आसानी से सुलझाएगी। गौरतलब है कि 14 सितंबर को क्षमा पर्व के दिन अध्यक्ष बरलोटा ने इस्तीफा दिया था तब से अब तक मान-मनौवल का दौर चल रहा था।
ये थे बैठक में शामिल-
बैठक में प्रमुख रूप से संरक्षक रमेश मोदी, श्रीचंद सुंदरानी, तिलोकचंद बरड़िया, चेयरमैन अमर धावना, पूरनलाल अग्रवाल, अनुशासन समिति के हरचरण सिंह साहनी, चेम्बर अध्यक्ष जितेन्द्र बरलोटा, महामंत्री लालचंद गुलवानी, कोषाध्यक्ष प्रकाश अग्रवाल व प्रभारी अध्यक्ष चंदर विधानी मौजूद थे।
जैन समाज की नाराजगी ने पलटा फैसला-
व्यापारिक सूत्रों का कहना है कि जैन समाज की नाराजगी ने चेम्बर के फैसले को पलटा। जैन समाज ने धमकी दी थी कि बरलोटा चेंबर में नहीं रहेंगे तो वे भी सदस्यता छोड़ देंगे। इसके बाद ही बरलोटा को वापस लाने के साथ अनुशासन समिति को अधिकार देने का प्रस्ताव लाने की बात उठी।


