भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने मंगलवार को कहा कि केंद्रीय बैंक गाड़ियों में लगे सीट बेल्ट की तरह हैं, जिसके बिना आप एक्सीडेंट के शिकार बन सकते हैं। एक प्रमुख बिजनेस टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में रघुराम राजन ने कहा कि केंद्रीय बैंक को राष्ट्रीय संस्थान के तौर पर सुरक्षित करना चाहिए।
एक-दूसरे की मंशा और स्वायत्तता का करें सम्मान
राजन ने कहा कि बीते दिनों वित्त मंत्रालय और आरबीआई के बीच हुए तकरार को और आगे नहीं बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘एक बार अगर आपने किसी को गवर्नर या डिप्टी गवर्नर नियुक्त कर दिया है तो आपको उन्हें सुनना होगा। राजन का मानना है कि भारत सरकार और केन्द्रीय रिजर्व बैंक के बीच मचे संग्राम पर तभी लगाम लग सकता है जब दोनों एक-दूसरे की मंशा और स्वायत्तता का सम्मान करें।
राजन ने कहा कि जहां तक संभव है रिजर्व बैंक की स्वायत्तता को बरकरार रखना देश के हित में है और ऐसा करना देश की परंपरा रही है। गौरतलब है कि मौजूदा गवर्नर उर्जित पटेल ने सितंबर 2016 में रघुराम राजन से केन्द्रीय बैंक की कमान अपने हाथ में ली थी।

दोनों के रिश्तों में खटास की प्रमुख वजह वित्तीय फैसलों में रिजर्व बैंक की अधिक भूमिका को माना जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक केन्द्र सरकार ने 19 नवंबर को होने आरबीआई बोर्ड बैठक में अपना अहम एजेंडा सामने करते हुए बोर्ड में रिजर्व बैंक गवर्नर की भूमिका को कम करने का काम कर सकती है।
विवाद की अहम वजह
दरअसल, केन्द्र सरकार और रिजर्व बैंक गवर्नर के बीच विवाद की अहम वजह केन्द्रीय रिजर्व बैंक के पास मौजूद 9.6 ट्रिलियन (9.6 लाख करोड़) रुपए की रकम है। केन्द्र सरकार का दावा है कि इतनी बड़ी रकम रिजर्व बैंक के रिजर्व खाते में रहने का कोई तुक नहीं है। सरकार के मुताबिक इतना बड़ा रिजर्व रखने का तर्क मौजूदा परिस्थिति में पूरी तरह गलत है।
जहां सरकार इस खजाने से एक-तिहाई पैसा निकालकर देश में सरकारी बैंकों में नई ऊर्जा का संचार करते हुए देश में कारोबारी तेजी लाना चाहती है। वहीं केन्द्रीय बैंक सरकार के इस प्रस्ताव को अपनी स्वायत्तता पर हमला मान रही है।

