ब्रेकिंग
10 हजार के अंदर पाएं टॉप 5G स्मार्टफोन, कीमत के साथ फीचर्स भी है नंबर वन, देखिए लिस्ट Fixed Deposit Scheme : खुश हुए इन बैंकों के खाताधारक, 399 दिनों की एफडी पर मिल रहा ज्यादा ब्याज Harda big news: फर्जी वसीयत बनाने वाले आरोपियों को 7 साल की जेल,10 हजार जुर्माना Harda Big News : छिपाबड़ जीतू पंडित मर्डर केस, सिर में गोली मारकर हत्या करने वाला मुख्य शूटर गिरफ्ता... Harda News : गुरव समाज ने श्री महर्षि दधीचि की जयंती महोत्सव, धूमधाम से मनाया बाइक रैली निकाली। Harda News : ‘खेलो एमपी यूथ गेम्स’’ के तहत जिला स्तरीय खेल प्रतियोगिताएं 24 सितम्बर को | Harda News : ‘‘विकास रथ’’ 24 सितम्बर को से टिमरनी क्षेत्र की पंचायतों का भ्रमण कर विकास कार्यों की ज... Harda : किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए कृषि मंत्री कमल पटेल ने जारी किया टोल फ्री नंबर | Harda News : कलेक्टर श्री गर्ग ने शांति समिति की बैठक में की अपील | Harda News : अबगांवखुर्द में ‘मतदाता सूची सशक्तिकरण शिविर’ 24 मार्च लगेंगे |

मोदी सरकार ने RBI से मांगे 3.6 लाख करोड़ रुपए, केंद्रीय बैंक ने ठुकराई मांग

नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार के बीच खींचतान जारी है लेकिन अब इस टवराव की असल वजह खुलकर सामने आ गई है। दोनों के बीच तल्खी की वजह सरकार का एक प्रस्ताव रहा, जिसमें केंद्र सरकार ने आरबीआई से रिजर्व पूंजी में से सरप्लस के 3.6 लाख करोड़ रुपए देने का प्रस्ताव रखा था, जो कि कुल सरप्लस 9.59 लाख करोड़ का एक तिहाई है। आरबीआई ने सरकार के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और दलील दी कि इससे माइक्रो इकोनॉमी को खतरा हो सकता है।

फंड ट्रांसफर का सिस्टम है पुराना 
केंद्र सरकार ने सुझाव दिया था कि सरप्लस को सरकार और आरबीआई दोनों मिलकर मैनेंज करें क्योंकि वित्त मंत्रालय की नजर में आरबीआई का फंड ट्रांसफर से जुड़ा सिस्टम काफी पुराना है। वहीं आरबीआई का मानना है कि सरकार की आरबीआई से इस तरह से इकोनॉमी पर बुरा असर पड़ेगा। साथ ही अर्जेंटीना जैसी आर्थिक हालात में सरप्लस की रकम मददगार साबित होगी। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने 26 अक्टूबर की अपनी स्पीच में इस मुद्दे का जिक्र किया था।

RBI का निर्णय एकतरफा
वित्त मंत्रालय के मुताबिक सरप्लस ट्रांसफर करने का मौजूदा फ्रेमवर्क एकतरफा था, जिसे आरबीआई की ओर से जुलाई 2017 में लागू किया है। वित्त मंत्रालय का कहना है कि जिस सरप्लस ट्रांसफर के मुद्दे पर मीटिंग हुई, उस वक्त सरकार की ओर नॉमिनेटेड दोनों सदस्य शामिल नहीं थे। ऐसे सरकार इस फ्रेमवर्क को मानने से इनकार कर रही है और आरबीआई से इस मामले में चर्चा करना चाहती है। सरकार की मानें तो आरबीआई के पास कैपिटल रिजर्व जरूरत से ज्यादा है। ऐसे में उससे 3.6 लाख करोड़ रुपए सरकार दो दिए जाएं।

गौरतलब है कि एक रिपोर्ट के मुताबिक 19 नवंबर को होने वाली आरबीआई बोर्ड की प्रमुख बैठक में केन्द्र सरकार अपने नुमाइंदों के जरिए विवादित विषयों पर प्रस्ताव के सहारे फैसला करने का दबाव बना सकती है। दरअसल, रिजर्व बैंक बोर्ड में केन्द्र सरकार के प्रतिनिधियों की संख्या अधिक है लिहाजा फैसला प्रस्ताव के आधार पर लिया जाएगा तो रिजर्व बैंक गवर्नर के सामने केन्द्र सरकार का सभी फैसला मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।

बैंकों के हालात सुधारने में मिलेगी मदद
सरकार का कहना है कि आरबीआई को 2017-18 के सरप्लस को सरकार को देना देना चाहिए। सरकार सरप्लस की रकम से अपना चालू खाता घाटा(CAD) कम करना चाहेगी। साथ ही पब्लिक सेक्टर की बैकों के हालत सुधारने में मदद मिलेगी। बता दें कि आरबीआई की ओर से 2017-18 में सरकार को 50 हजार करोड़ रुपए सरप्लस ट्रांसफर किया गया था। इसी तरह 2016-17 में 30 हजार करोड़ सरप्लस ट्रांसफर किया था। हालांकि आरबीआई की दलील है कि सरप्लस को आपात स्थिति या फिर वित्तीय जोखिम के लिए बचाककर रखा गया है। यूएस, यूके, अर्जेंटीना, फ्रांस, सिंगापुर की केंद्रीय बैंकों में अपनी कुल संपत्ति का कम से कम कैपिटल रिजर्व रखा जाता है, जबकि मलेशिया, नार्वे और रूस भारत से ज्यादा रिजर्व रखती हैं।

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More

Don`t copy text!