
दिग्गजो को धूल चटाने के बाद
क्या हरदा में गरमाएगी सेठ और टिमरनी में स्टेट की जमीन ?

आदिवासियों या कन्या महाविद्यालय को मिलेगी जमीन, चुनाव में गरमाएगा मुद्दा
प्रदीप शर्मा, हरदा।
चुनाव में नेताओं की जमीन हो या न हो, मगर जिले के हरदा और टिमरनी विधानसभा सीट पर इस बार फिर जमीन का मामला गरमाने जा रहा है। चुनाव के एक सप्ताह पहले जिला कोर्ट द्वारा टिमरनी राधास्वामी समिति की वनांचल में भूमि संबंधी दस्तावेज अमान्य किए जाने पश्चात यह मसला चुनाव में गरमा गया है जिसमें समिति शासन और आदिवासियों से अनुबंध के आधार पर 99 साल की लीज प्राप्त कर इसकी अवधि फिर से बढ़वाने की फिराक में है। वहीं हरदा में बसस्टैंड पर स्थित जीपी माल की बेशकीमती 9 एकड़ भूमि का मामला कई दिग्गज नेताओं को चुनाव में धूल चटाने एक बार गरमाने जा रहा है। सपाक्स के जिला संयोजक मनीष शर्मा ने अपने फेसबुक एकॉउंट पर जीपी मॉल की जमीन का मामला उठाकर इस मुद्दे को हवा दे दी है। मकड़ाई एक्सप्रेस से मनीष शर्मा ने कहा कि हरदामें सेठ की राजनीति ने कई दिग्गज नेताओं को जीत-हार की पटखनी खिलाई है। इस बार फिर देखना होगा कि बंगले की राजनीति कहां से शुरू होती है। वहीं टिमरनी के पिछले चुनावों में स्टेट की जमीन का मामला गुल खिलाते आया है। इसमें दावेदारों ने आदिवासियों को लुभाने की कोशिश करते हुए परोक्ष रूप से समिति के पक्ष में कार्य कर अपना चुनावी उल्लू सीधा किया है।
चुनावों में गरमाए हैं जमीन के ये मामले
ज्ञातव्य रहे पिछले नगरपालिका चुनावों में हरदा सीट पर माल का मामला खूब सर्खियों में आया था जिसमें संगीता बंसल जैन की चली गई और विपक्षी नेताओं पर
भी आरोप-प्रत्यारोप के कई दौर चले थे। सन 1993 में भाजपा के कमल पटेल को टिकिट मिलने के बाद कांग्रेस के कद्दावर नेता कमल पटेल को धूल चटाने में सेठ फैक्टर याद किया जाता है। इसके बाद होने वाले चुनावों में भी यह मुद्दे परोक्ष अथवा प्रत्यक्ष रूप से चर्चाओं में अवश्य बने रहे हैं। इधर टिमरनी में स्टेट की जमीन का मामला सैकड़ो गरीब आदिवासियों की भूमि से जुड़ा होने के कारण राजनीतिक रूप से गरमाता आया है। अब जिला कोर्ट द्वारा समिति के दस्तावेज खारिज करके पंजीयक को इन्हे शून्य घोषित करने संबंधी निर्देश
दिए जाने बाद आदिवासियों को किस हद तक राजनेता साथ देने आगे आएंगे, चुनावी बेला में काफी गरमा गया है। फेसबुक पर सपाक्स नेता ने सवाल उठाया है कि हरदा में कन्या महाविद्यालय बनने के लिए सेठ की जमीन मिलेगी या नहीं। जबकि राजनीतिक खेमों अब तक इस पर चुप्पी देखी जा रही है। यह भी निश्चित है कि टिमरनी में स्टेट वाले लोग जिला अदालत का फैसला न मानते हुए इसे हाईकोर्ट ले जाने की तैयारी करने लगें मगर यहां के चुनाव में यह मामला भी जमकर गरमाएगा जिसमें सैकड़ों आदिवासी किसानी की जमीन का हक जुड़ा हुआ है। मामले में हब तक यह देखने में आया है कि तत्कालीन विधायक के रूप में किसी नेता ने आगे आकर आदिवासियों के हक आवाज नहीं उठाई है और न ही किसी राजनेता ने किसी आंदोलन का आगाज किया है। मगर इस बार के चुनावी समर में इनकी जमकर चर्चा की जा रही है।
दावेदारों की खामोशी
बहरहाल चुनाव में अंतिम दिन नामांकन परचा जमा कराने जा रहे गत विधानसभा के निवृत्तमान विधायक और कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. आरके दोगन और भाजपा के कमल पटेल ने हरदा में इस पर अपने पत्ते नहीं खोल हैं। वहीं टिमरनी में भी भाजपा के विधायक संजय शाह का अब तक कोई ऐसा बयान सामने
आया है जिसमें उन्होंने आदिवासियों या स्टेट के पक्ष पर अपनी कोई टिप्पणी की हो।जबकि हरदा मेंसोशल मीडिया पर सपाक्स नेता की टिप्पणी को चटखारे लेकर एक्टिविस्ट सक्रिय हैं। आगामी बीस दिनों के भीतर अन्य दावेदारों के किरदार भी सामने आ जाएंगे जो आमजनता के बीच वोट मांगने पहुंचेगे।
सपाक्स में टिकिट का मामला उलझन में
चुनाव में इस बार टिकट को लेकर सपाक्स का मामला काफी खटाई में दिखाई देता है। आयोग द्वारा इस बारे अब तक निर्देश जारी नहीं किए गए हैं इससे फॉर्म भरने वाले प्रत्याशी को अपने सिंबाल का प्रचार करने में परेशानी का सामना करना पड़ेगा। इस कारण अभी तक जिला मुख्यालय पर सपाक्स की ओर से कोई नाम तय नहीं हो पाया है जो अंतिम दिन निर्वाचन कार्यालय जमा करा सके। जबकि आम आदमी पार्टी की ओर से हरदा में एक एक दावेदार के सामने आने की जानकारी मिली है। इनके चुनावी मुद्दे क्या होंगे इसकी भी चर्चाएं बनी रहेंगी।