दिवाली के 5 दिन अहम होते हैं और ये पांच दिन हर घर को रौनक से भर देते हैं। इन पांच दिनों में एक भाई-बहन का भी खास दिन होता है और इस दिन को भाई दूज के नाम से मनाया जाता है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को ये पर्व मनाया जाता है। भइया दूज का ये त्योहार दीपावली के ठीक दो दिन बाद मनाया जाता है। ये त्योहार भाई-बहन के एक-दूसरे के प्रति स्नेह को अभिव्यक्त करता है। इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं और उसके उज्ज्वल भविष्य और लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं लेकिन अक्सर लोगों के मन में ये दुविधा रहती है किस तरफ भाई को बैठाकर तिलक करना चाहिए या किस उंगली से तिलक करना चाहिए। भाई का तिलक करने का शुभ मुहुर्त और पूजन विधि सबसे पहले सुबह उठकर नहाने के पानी में यमुना का जल मिलाकर स्नान करते हुए एक मंत्र बोले, मंत्र है- गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरी जलऽस्मिन्-सन्निधिं कुरु॥”
उसके बाद दोपहर में दक्षिण दिशा में दक्षिणमुखी होकर यमराज का विधिवत पूजन करें। बाजोत पर लाल, काला, सफ़ेद कपड़ा बिछाकर उस पर स्टील के लोटे में जल तिल, सुपारी व सिक्के डालें और लोटे के मुंह पर बरगद के पत्ते रखें फिर उस पर नारियल रखकर यम कलश स्थापित करें। साथ ही लोटे के दोनों ओर 1-1 नारियल यमुना और चित्रगुप्त के लिए रखें। यमराज, यमुना व चित्रगुप्त का विधिवत दशोपचार पूजन करें। इत्र मिले सरसों के तेल का दीपक करें, गुग्गल लोहबान व अगर से धूप करें, लाल, नीले और सफ़ेद फूल चढ़ाएं। सिंदूर, काजल व चंदन से तिलक करें। यमराज पर तेजपत्ता, चित्रगुप्त पर भोजपत्र तथा यमुना पर तुलसी पत्र चढ़ाएं, सुरमा चढ़ाएं, लौंग, नारियल, काली मिर्च, बादाम चढ़ाएं। तेल में तली पूड़ी, नारियल की खीर, उड़द की दाल, कटहल की सब्जी का भोग व इमारती व रेवड़ियों का भोग लगाकर 1-1 माला विशिष्ट मंत्रों का जाप करें। इसके बाद अगर संभव हो तो भोग किसी काली गाय या भैंस को खिला दें और रेवड़ियां प्रसाद स्वरूप में किसी कुंवारी कन्या को बांट दें। बहनें अपने भाई का पूजन करते समय यहा बताया जा रहा विशेष श्लोक ज़रूर पढ़ें – गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजे कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े। शाम के समय चंद्रमा दर्शन व पूजन करके यमराज के निमित दीपदान करके पांच दिवसीय दीपावली पूजन समापन करें।
तो चलिए अब बताते हैं शुभ मुहुर्त-
यमुना स्नान मुहूर्त: सुबह 09:35 से सुबह 10:43 तक।

यम पूजन मुहूर्त: दिन 13:09 से शाम 14:15 तक।
भ्राता पूजन मुहूर्त: दिन 14:15 से शाम 15:17 तक।
यम दीपदान मुहूर्त: शाम 17:49 से रात 19:45 तक।
चंद्र दर्शन मुहूर्त: शाम 17:26 से शाम 18:26 तक।
चंद्र पूजन मुहूर्त: शाम 18:26 से शाम 19:26 तक।
अब बताते हैं कि बहनें किस विधि से करें भाई का तिलक आज के दिन सभी बहनें सुबह स्नान आदि के बाद सबसे पहले पूजा की थाली तैयार करें। इस थाली में रोली, चावल, मिठाई, नारियल, घी का दीया, सिर ढकने के लिए रूमाल आदि रखें। साथ ही घर के आंगन में आटे या चावल से एक चौकोर आकृति बनाएं और गोबर से बिल्कुल छोटे-छोटे उपले बनाकर उसके चारों कोनों पर रखें। पास ही में पूजा की थाली भी रख लें अब उस आकृति के पास भाई को आसन पर बिठा दें और भाई से कहें कि वो अपने सिर को रूमाल से ढंक ले और फिर भाई के माथे पर रोली, चावल का टीका लगाएं और उसे मिठाई खिलाएं साथ ही भाई को नारियल दें। इसके बाद भाई अपनी बहन को कुछ उपहार स्वरूप जरूर दें। इससे भाई-बहन के बीच प्यार और सम्मान बढ़ता है।

