बैतूल: स्वस्थ्य सुविधाओं के दावें करने वाली सरकार खोखलें वादों की पोल जिला अस्पताल में खुली जब एक मासूम की मौत के बाद उसकी लाश को घर ले जाने के लिए वाहन नहीं मिला। परिजन बाइक पर ही मासूम के शव को घर ले गए।
जानकारी के अनुसार, 5 वर्षिय रितेश दहीकर चूल्हे के पास खेल रहा था।अचानक उसके कपड़ों में आग लग गई। जिससे वह गंभीर रूप से झुलस गया। इलाज के लिए घरवालों ने उसे जिला अस्पताल दाखिल करवाया था। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। जब घरवालों ने शव वाहन की डिमांड की तो नर्स ने कहा कि अभी 6 घंटे तक वाहन खाली नहीं है। जिसके कारण परिवार वाले शव को बाईक से ही घर ले गए। बता दें कि अस्पताल में मरीज की मौत हो जाने पर शव घर ले जाने के लिए कोई साधन नहीं है। रेडक्रास सोसायटी एवं समाजसेवी संस्था अपने खर्च पर लोगों को शव वाहन उपलब्ध कराती है। इसमें जिला अस्पताल का कोई लेन-देन नहीं है।
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चौधरी मोहन गुर्जर, मध्यप्रदेश के ह्र्दयस्थल हरदा के जाने माने वरिष्ठ पत्रकार है, आप सतत 15 वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी सेवायें देते आ रहे है, आपकी निष्पक्ष और निडर लेखनी को कई अवसरों पर सराहा गया है