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मध्य प्रदेश में 33 हजार टन कोयला आया पर नहीं बढ़ा बिजली उत्पादन

मकड़ाई समाचार भोपाल। मध्य प्रदेश में बिजली उत्पादन में फिलहाल सुधार की स्थिति नहीं दिखाई दे रही है। गुरुवार को 32,908.78 टन कोयला आने के बावजूद बिजली उत्पादन नहीं बढ़ा, बल्कि गुरुवार की तुलना में शुक्रवार को 69 मेगावाट उत्पादन कम हो गया। इसके चलते 26 मेगावाट बिजली ओवर ड्रा की गई। हालांकि, बिजली कंपनियों ने गुरुवार को 10394 मेगावाट बिजली की मांग पूरी की है। बिरसिंहपुर पाली स्थित संयंत्र की 500 मेगावाट क्षमता वाली एक इकाई बंद होने के कारण उत्पादन में बढ़ोतरी नहीं हो पाई है। प्रदेशवासियों को मांग के मुताबिक बिजली उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार ने शुक्रवार को सेंट्रल ग्रिड से 5339 मेगावाट बिजली की डिमांड की थी और 5365 मेगावाट ड्रा की।

वहीं प्रदेश के चारों ताप विद्युत केंद्रों से 2151 मेगावाट और जल विद्युत परियोजनाओं से 517 मेगावाट बिजली उत्पादन हुआ है, जो 2668 मेगावाट होता है। गुरुवार को 2737 मेगावाट उत्पादन हुआ था। यानी ताप विद्युत केंद्रों की 5400 और जल विद्युत परियोजनाओं की 2400 मेगावाट क्षमता की तुलना में प्रदेश में 33 फीसद ही उत्पादन हो रहा है। वहीं प्रदेश में 8512 मेगावाट की मांग बनी हुई है। अब स्थिति यह है कि बिजली की सबसे ज्यादा मांग के समय (पीक आवर) में मांग कम बताई जा रही है, जबकि तीन दिन पहले (12 अक्टूबर की शाम) 10 हजार 824 मेगावाट बिजली की मांग थी।

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तीसरे दिन भी चालू नहीं हुई इकाई

संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र बिरसिंहपुर (उमरिया) के 1340 मेगावाट क्षमता वाले बिजली संयंत्र की एक इकाई तीन दिन बाद भी चालू नहीं हो पाई। 500 मेगावाट बिजली का उत्पादन करने वाली यह इकाई बुधवार रात को अचानक बंद हो गई थी। जानकार बताते हैं कि वाटरवाल ट्यूब में रिसाव (लीकेज) के कारण इकाई बंद हुई है, जिसे वापस चालू होने में 72 घंटे या उससे भी ज्यादा समय लग सकता है।

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