नई दिल्ली: भाजपा की वरिष्ठ नेत्री व केंद्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के लोकसभा चुनाव नहीं लडऩे की घोषणा के बाद पार्टी के लगभग आधा दर्जन से ज्यादा बड़े नेताओं के 2019 के लोकसभा चुनाव मैदान से दूर रहने की संभावना जताई जाने लगी है। हालांकि सुषमा स्वराज के अलावा किसी भी नेता ने अभी कोई टिप्पणी नहीं की है फिर भी यह चर्चा छिड़ गई है कि स्वास्थ्य संबंधी कारणों के चलते कुछ प्रमुख नेता संसद में लोकसभा की बजाय राज्यसभा से आएंगे। इनमें भाजपा के मार्गदर्शक मंडल के सदस्य लाल कृष्ण अडवानी, डा. मुरली मनोहर जोशी, भुवन चंद्र खंडूरी, शांता कुमार, करिया मुंडा जैसे प्रमुख नाम हैं।
संघ ने पहले ही कर दी थी शुरूआत
- 2009 लोकसभा चुनाव के बाद से ही भाजपा में नई पीढ़ी को लाने की शुरूआत कर दी थी।
- नेता प्रतिपक्ष के पद पर लाल कृष्ण अडवानी को हटा कर सुषमा स्वराज को लाया गया था।
- भाजपा ने अध्यक्ष नितिन गडकरी को और 2013 में प्रधानमंत्री प्रत्याशी नरेंद्र मोदी को बनाया।
- केंद्र में सरकार बनने के बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को बनाया गया।
- बुजुर्ग नेताओं के लिए मार्गदर्शक मंडल बनाया गया, केंद्रीय संसदीय बोर्ड में भी बदलाव किए।

कुछ वरिष्ठ नेताओं की बदलेगी भूमिका
केंद्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने हाल में स्वास्थ्य संबंधी कारणों से लोकसभा चुनाव नहीं लडऩे की घोषणा की है मगर उनके अगले साल राज्यसभा में आने की संभावना है। वित्त मंत्री अरुण जेतली पहले से ही राज्यसभा में हैं और सदन के नेता भी हैं। सूत्रों के अनुसार भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं की भूमिका भी इस बार बदलेगी।

