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सबसे ज्यादा काम से छुट्टियां लेने से कतराते हैं भारतीय, जाने क्यों

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ज्यादातर लोगों का अब तक यही मानना रहा है कि भारतीय काम करने में आगे हैं  लेकिन अापको यह जानकर हैरानी होगी कि विश्व भर में भारतीय लोगों के समक्ष अवकाश की सर्वाधिक कमी है। एक रिपोर्ट के अनुसार, करीब 75 भारतीय अवकाश की कमी से जूझ रहे हैं, जबकि 41 प्रतिशत लोगों को काम से फुर्सत नहीं मिल पाने के कारण पिछले छह महीने में छुट्टी लेने का मौका नहीं मिला है। 19 प्रतिशत लोगों को लगता है कि छुट्टियां लेने से वो काम के प्रति कम गंभीर दिखेंगे, 25 फीसदी ने माना कि छुट्टियां लेने से वो किसी महत्वपूर्ण निर्णय में शामिल नहीं हो पाएंगे। ये सर्वे 19 देशों में किया गया। अाईए जानते हैं वो कारण जिसकी वजह से भारतीय कम छुट्टियां लेते हैं ।

पूरी छुट्टियों का नहीं कर पाते उपयोग
एक्सपीडिया इंडिया के विपणन प्रमुख मनमीत अहलूवालिया ने कहा कि हमने भारत में नियोक्ताओं की ओर से अवकाश के मामले में समर्थन के रवैये में वृद्धि देखी है। हालांकि, कर्मचारी अब भी अपनी पूरी छुट्टियां नहीं ले पा रहे हैं, क्योंकि उन्हें महत्वपूर्ण निर्णयों से बाहर रह जाने या कम समर्पित समझ लिए जाने का भय लगा रहता है या फिर उन्हें अपने साथी के साथ घूमने का समय व्यवस्थित नहीं हो पाता है। 53 फीसदी भारतीयों ने कहा कि वो मिल रही छुट्टियों में से भी कम छुट्टियां लेते हैं, वहीं 35 प्रतिशत भारतीयों ने कहा कि ऑफिस में काम के चलते या कम स्टाफ होने के चलते वो छुट्टियां नहीं ले पाते। इस साल 68 फीसदी लोगों ने काम के चलते कहीं जाने का प्लान कैंसल कर दिया।

काम के दबाव के कारण भी नहीं ले पाते छुट्टी
अध्ययन में 18 प्रतिशत लोगों ने यह भी माना है कि जो लोग काम में सफल हैं, वे छुट्टियां नहीं लेते हैं। अहलूवालिया ने कहा कि 64 प्रतिशत भारतीय इस कारण भी छुट्टियां नहीं ले पाते हैं कि छुट्टी से लौटने के बाद उनके ऊपर काम का भारी दबाव हो जाता है। अध्ययन में यह भी पता चला है कि 17 प्रतिशत भारतीयों ने पिछले एक साल से एक भी छुट्टी नहीं ली है। हालांकि, 55 प्रतिशत भारतीयों ने यह माना है कि छुट्टियों में कमी से उनकी उत्पादकता प्रभावित होती है।

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दक्षिण कोरिया दूसरे और हांगकांग तीसरे नंबर पर
भारत के बाद 72 प्रतिशत के साथ दक्षिण कोरिया और 69 प्रतिशत के साथ हांगकांग क्रमश: दूसरे एवं तीसरे स्थान पर है। भारत में कर्मचारी अपनी पूरी छुट्टियों का भी उपयोग नहीं कर पाते हैं। इस मामले में जापान, इटली, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बाद भारत का स्थान है।

यूरोपीय देशों के हालात हमसे काफी बेहतर
वहीं बात अगर यूरोपीय देशों की करें तो छुट्टियों के मामलें उनकी हालत हमसे काफी बेहतर है। स्पेन में रहने वाले 64 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्होंने साल में 21 से 30 दिन की छुट्टी ली है। वहीं यूनाइटेड किंग्डम के भी आधे लोगों ने माना कि उन्होंने छुट्टियां में घूमने के प्लान बनाया है। यह कहना गलत नहीं होगा कि वर्क-लाइफ बैलेंस के मामले में भी यूरोपीय देशों के हालात भारत के हालात अच्छे हैं।

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