एक बार फिर राष्ट्रीय राजधानी Delhi में हजारों की तदाद में किसान आंदोलन कर रहे हैं। यह आंदोलन भारतीय किसान संघर्ष समिति के बैनर तले हो रहा है, जिसमें अलग-अलग क्षेत्रों और विभिन्न राज्यों से करीब 208 किसान और सामाजिक संगठन जुड़े हैं। बता दें, किसानों का कारवां बीते दिन दिल्ली हरियाणा के बॅार्डर पर बिजवासन के इलाके से चलकर 26 किलोमीटर की पदयात्रा के बाद शाम पांच बजे रामलीला मैदान पहुंचा और अब यहां से हजारों की संख्या में किसान आज संसद मार्ग पर पहुंच चुके हैं। इस दौरान किसान लगातार अयोध्या नहीं कर्ज माफी चाहिए के नारे भी लगा रहे हैं। वहीं किसानों की बड़ी तदाद की वजह से कई जगह ट्रैफिक जाम की समस्या देखने को मिली।
वहीं किसान मार्च को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने पर्याप्त इतंजाम किए हैं। वहीं संयुक्त पुलिस आयुक्त का कहना है कि किसान मार्च के कारण रामलीला मैदान को जोड़ने वाले मार्ग, जवाहरलाल नेहरू मार्ग, देशबंधु गुप्ता रोड, मंदिर मार्ग, पंचकुईया रोड,फिरोजशाह रोड, बाराखंभा रोड,अशोक रोड, केजी मार्ग, जनपथ, बाबा खड़क सिंह मार्ग, जय सिंह मार्ग समेत कनॉट प्लेस पर ट्रैफिक प्रभावित हो सकती है।
गौरतबल है कि किसानों की सरकार से मांग है कि उन्हें कर्ज से पूरी तरह से मुक्त कर दिया जाए और फसलों की लागत का डेढ़ गुना मुआवजा दिया जाए। साथ ही अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति के बैनर तले इक्ट्ठा हुए किसान चाहते हैं कि एमएस स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट को पूरी तरह से लागू किया जाए। फिलहाल पुलिस ने एडवाइजरी जारी कर दी है और किसान आंदोलन को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इतंजाम किए गए है। हालांकि आज रामलीला मैदान से ससंद की तरफ की तरफ जाने वाले ट्रैफिक पर असर पड़ने की उम्मीद है।

जानकारी के लिए आपको बता दें, इसके पहले 23 सिंतबर को हजारों की संख्या में किसान अपनी मांगों को लेकर राजधानी दिल्ली पहुंचे थे, लेकिन उस दौरान Delhi-यूपी के बॅार्डर पर किसान और पुलिस के बीच तीखी झड़प हुई थी। वहीं पुलिस ने आंसू गैस और पानी की बौझारों का भी प्रयोग किया था, लेकिन बाद में किसानों को दिल्ली में घुसने की इजाजत दिल्ली पुलिस ने दे दी। इसके बाद हजारों की तदाद में किसान Delhi के किसान घाट पहुंचे और चौधरी चरण सिंह की समाधी पर फूल चढ़ाकर किसान क्रांति यात्रा को समाप्त कर दिया था।हालांकि पिछले आंदोलन की तुलना में इस बार दिल्ली पहुंचे किसानों का आंदोलन काफी हद तक अलग नजर आ रहा है। एक तरफ जहां किसानों की तदाद कम है तो वहीं इस बार किसान पिछली बार की तरफ सड़क पर ठहरने की बजाए सामुदायिक भवन में ठहरे हुए थे।

