शुद्ध बुद्धि यशोदा है जब दोनों का मिलन होता है तब हृदय के अष्ट कमल पर आनंद रूपी कृष्ण अवतार होता है।- कथावाचक प.मनावत

सिराली : ग्राम पीपल्या में चल रही श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के चौथे दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की कथा कही। पंडित श्याम स्वरूप जी मनावत ने कहा कि हिरण्यकशिपु अहंकार का नाम है। पहला ज्ञान है, भक्ति है। भगवान कहते है हे मनुष्य तेरे अंदर नरसिंह विराजमान हैं। है नर तू सिंह बन जा। तुलसीदास जी कहते है कृपा सिंधु नर रूप हरि। पांच वर्ष की उम्र में भक्त प्रहलाद ने भगवान को खम्ब से प्रगट कर दिया। पिछले जन्म का पुण्य कम आयु में ही जागृति कर देता है। मनुष्य का पुण्य और पाप वह किसी भी योनि में ही चला जाए उसका पीछा नही छोड़ता। जिस प्रकार से हजार गायों के बीच में बछड़ा अपनी माँ को खोज लेता है। इसी प्रकार मनुष्य का पुण्य और पाप उसे हर योनि में खोज लेता है। अहंकार का अंत हुआ। भगवान खम्ब से प्रगट हुए। उसी दिन से मंदिरों में मूर्ति पूजा प्रारम्भ हुई। प्रहलाद ने खम्ब से प्रकट किया। हिरण्यकश्यप का उद्धार करने के बाद अपने नाखून में जो दोष लगा था। भगवान ने उसे महुए के वृक्ष में समा दिया तब वृक्ष से आवाज आई अपराध कोई करे और सजा किसी को मिले ये कोई न्याय है। तब भगवान ने कहा मैं तुम्हे आशीर्वाद भी देता हूं। जो तुम्हारे नीचे से पुण्य धर्म करके निकलेगा। उसका आधा पूण्य तुम्हारे अंदर समा जाएगा। जो तुम्हारे पानी से प्रेम करेगा, मदिरा शराब का सेवन करेगा। उसका पूरा का पूरा पूण्य नाश हो जाएगा। मद याने अहंकार, इरा याने इंद्री। इंद्रियों में जो मद पैदा कर दे। इसी लिए इसे मदिरा कहा है। शराब यौवन, धन अंत को बिगाड़ती है। इसी लिए नशे से बचना चाहिए। व्यसन किसी भी प्रकार का हो आदमी को खा जाता है। मनुष्य भोग नही भोगता है। भोग उसे भोग जाता है। बाद में गंगा उतरन की कथा, राम अवतार, एवं कृष्ण अवतार की कथा को विस्तार से सुनाया। कथा के चौथे दिन वामन अवतार कथा में पंडित श्री मनावत ने कहा वामन अवतार लेकर भगवान ने राजा बलि को पाताल पहुंचाया। दुनिया में कुछ चाहिए तो छोटा बनना पड़ता है, भगवान बामन बने पर बलि के दान पर रिज गए और पहरेदार बन बैठे बली ने कहा जीव के जीवन रूपी द्वार पर अगर ब्रह्म खड़ा होता है तो माया का प्रवेश नहीं होता बली ने तीन प्रकार से दान किया तन मन धन हम धर्म में पैसा देते हैं पर समय और शरीर नहीं देते बली को अमर कर दिया उसी दिन से बलिदान हो जाना यह शब्द प्रारंभ हो गया गज ग्रह उद्धार कथा गंगा अवतार कथा को विस्तार से सुनाया भागीरथ जी के अथक प्रयास से जनमानस को गंगा मिली आज भी जब कोई भागीरथ प्रयास करता है तब समाज का कल्याण होता है ऐसे तपस्वी भक्ति व पुरुषों का आदर करना चाहिए कृष्ण अवतार की कथा को विस्तार से सुनाया। मथुरा में कृष्ण का अवतार हुआ गोकुल पहुंचे उत्सव हुआ वसुदेव जी के मस्तक पर भगवान विराजमान हुए जीव के दशम द्वार पर जब यम विराजमान होते हैं तो आवागमन रूपी जन्म मरण रूपी जेल से जीव को मुक्त कर देते हैं शरीर के गोकुल में आनंद ही आनंद बाबा है शुद्ध बुद्धि यशोदा है जब दोनों का मिलन होता है तब हृदय के अष्ट कमल पर आनंद रूपी कृष्ण अवतार होता है। कृष्ण अवतार की कथा को विस्तार से सुनाया। धरती पर राक्षसों के द्वारा किए जा रहे पापों का अंत करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं ही माता यशोदा के आठवे पुत्र के रूप में जन्म लिया। भादो मास की अष्टमी तिथि को रात्रि 12 बजे भगवान कन्हैया ने धरती पर जन्म लेकर राक्षसो का अंत किया । कंस का अंत करके मानव जाति का उद्धार किया। नन्हे बालक को भगवान श्रीकृष्ण का रूप दिया गया।
नन्द घर आनंद भयो , जय कन्हैया लाल की । ढोल धमाको के साथ ही हर्षोल्लास से भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया। खुुदिया, पीपल्या , धनकार , बाबड़िया गोमगॉव, रामपुरी, सिराली, महेन्द्रगॉव, बालागॉव, रहटगांव, बरखेड़ी, मगरधा सहित आसपास के क्षेत्र से हजारो श्रद्धालुओ ने कथा का आनन्द लिया। सैकड़ों की तादात में पधारे हुए श्रोता झूम उठे नृत्य करने लगे नंद घर आनंद भयो जयकारे से पूरा पंडाल गूंज उठा। आयोजन कर्ता पतेला परिवार ने श्रद्धालु भक्तों का अभिवादन किया।
महाआरती के बाद माखन , मिश्री प्रसादी वितरित की गई।
श्रोता भाव विभोर होकर नृत्य करने लगे। आसपास के गॉवों से सैकड़ों की तादात में कथा श्रवण करने पहुंच रहे है। साथ ही रात्रि कालीन कार्यक्रम में नवयुवक रामलीला मंडल के पात्रों द्वारा मंगलवार रात्रि को राम वनगमन केवट संवाद का मंचन किया गया।
