भारत और रूस के बीच शुक्रवार को हुई S-400 डील पर अमेरिका के तेवर नरम पड़ गए हैं। यूएस ने इस पर बेहद सधी प्रतिक्रिया दी है। अमेरिका का कहना है कि प्रतिबंध लगाने का मकसद रूस को उसके घातक बर्ताव के लिए दंडित करना है और रूस के डिफेंस सेक्टर में पैसे के प्रवाह को रोकना है।
अमेरिकी दूतावासकी प्रवक्ता जेन्नी ली ने कहा, रूस पर प्रतिबंध लागू करने का मकसद अपने सहयोगियों और पार्टनरों की सैन्य क्षमताओं को डैमेज करना नहीं है। उन्होंने कहा कि हम किसी भी तरह के प्रतिबंध के फैसले को पूर्वाग्रह नहीं बना सकते हैं।
अमेरिका पिछले कई दिनों से रूस से किसी भी तरह की रक्षा खरीद करने पर भारत को प्रतिबंध लगाने की धमकी दे रहा था। हालांकि अमेरिकी धमकियों के बाद भी भारत ने रूस के साथ S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने का समझौता किया। S-400 मिसाइल प्रणाली डील से पहले माना जा रहा था कि अमेरिका इसको लेकर नाराज हो जाएगा। लेकिन डील होने के बाद अमेरिका के तेवर बदल गए।
दरअसल, काउंटरिंग अमेरिकाज एडवाइजरीज थ्रू सैंक्सन्स एक्ट (CAARSA) के तहत अमेरिका ने भारत पर किसी भी तरह की रक्षा खरीद पर रोक लगा रखी है। इसके चलते माना जा रहा था कि भारत द्वारा रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने पर अमेरिका नाराज हो सकता है। लेकिन शाम होते-होते अमेरिका के रुख में नरमी देखने को मिली।
बता दें कि भारत ने अमेरिका की धमकियों के बावजूद शुक्रवार को रूस के साथ S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने के समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने साझा प्रेस-कॉन्फ्रेंस कर रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में साथ काम करने की प्रतिबद्धता जताई।
भारत S-400 के तहत रूस से 5 मिसाइल डिफेंस सिस्टम सेट खरीदेगा। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की द्विपक्षीय वार्ता के बाद नई दिल्ली में इस डील पर साइन किए। बता दें कि भारत और रूस के बीच कुल 8 समझौते हुए हैं और दोनों नेताओं के बीच शुक्रवार को ही हैदराबाद हाउस में डेलीगेशन लेवल की बातचीत हुई।
