मकडाई एक्सप्रेस 24 नई दिल्ली | आजादी के बाद पहले जनसंघ और अब बीजेपी के मुख्य तीन एजेंडा रहे हैं. इनमें पहला जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को हटाना था. दूसरा, अयोध्या में राममंदिर का निर्माण कराना और तीसरा पूरे देश में समान नागरिक संहिता लागू कराना है. पहले दो एजेंडा पर काम खत्म करने के बाद अब बीजेपी यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने पर जोर दे रही है|
केंद्र सरकार ने समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग से सुझाव मांगे थे|अब 22वें विधि आयोग का कहना है कि अदालती आदेशों को ध्यान में रखते हुए फिर विचार करना बहुत जरूरी है|ऐसे में ये मुद्दा देश भर में एक बार फिर चर्चा में आ गया है|
जुलाई में शुरू होने जा रहे संसद के मानसून सत्र (Parliament monsoon session) में यह बिल पेश कर दिया जाएगा। अंदरखाने सरकार के स्तर पर सारी तैयारियां कर ली गई हैं। इस बीच, विपक्षी दल की ओर से बयानबाजी जारी है। कुछ पक्ष में नजर आ रहे हैं तो कुछ खिलाफ हैं। मुस्लिम समाज से जुड़े संगठन भी प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
क्या है समान नागरिक संहिता
यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब है कि हर धर्म, जाति, संप्रदाय, वर्ग के लिए पूरे देश में एक ही नियम. दूसरे शब्दों में कहें तो समान नागरिक संहिता का मतलब है कि पूरे देश के लिए एक समान कानून के साथ ही सभी धार्मिक समुदायों के लिये विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने के नियम एक ही होंगे. संविधान के अनुच्छेद-44 में सभी नागरिकों के लिए समान कानून लागू करने की बात कही गई है. अनुच्छेद-44 संविधान के नीति निर्देशक तत्वों में शामिल है. इस अनुच्छेद का उद्देश्य संविधान की प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य’ के सिद्धांत का पालन करना है. बता दें कि भारत में सभी नागरिकों के लिए एक समान ‘आपराधिक संहिता’ है, लेकिन समान नागरिक कानून नहीं है|
विश्व हिन्दू परिषद ने समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान का समर्थन करते हुए विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों को नसीहत दी है. विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा है कि ‘सरकार का ये प्रयत्न अच्छा है. मुसलमानों से कहना चाहूंगा कि आपके ऊपर कुछ लाद नहीं दिया जाएगा| इस मुद्दे पर खुले मन से चर्चा करना चाहिए|