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देवास जिले में सोयाबीन की नई किस्मों का उपयोग: किसानों को मिला अधिक उत्पादन का फायदा

देवास, 16 सितंबर 2024: सोयाबीन की खेती में हमेशा से किसान नए प्रयोग करते आ रहे हैं ताकि उन्हें बेहतर उत्पादन और लाभ मिल सके। इसी दिशा में देवास जिले के किसानों ने भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान इंदौर द्वारा सुझाई गई नई सोयाबीन किस्मों NRC-130 और NRC-142 का उपयोग किया। इन किस्मों का आकलन करने के लिए एक कृषि विशेषज्ञ दल ने विभिन्न गांवों का दौरा किया और किसानों से उनकी राय जानी।

नई किस्मों का परीक्षण और आकलन

सोनकच्छ के ग्राम अगेरा और छोटी चुरलाय में इन किस्मों का उपयोग किया गया, जहां प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. बी.यू. दूपारे और उप संचालक कृषि श्री गोपेश पाठक ने इन नई किस्मों का आकलन किया। उनके साथ अनुविभागीय कृषि अधिकारी श्री राजेन्द्र द्विवेदी और अन्य कृषि अधिकारी भी मौजूद थे। इन वैज्ञानिकों और कृषि अधिकारियों ने खेतों में जाकर सोयाबीन की नई किस्मों की जांच की और उनकी विशेषताओं को समझा।

NRC-130: अधिक उत्पादन और रोग प्रतिरोधकता

ग्राम अगेरा के किसान श्री राम सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने खेत में NRC-130 किस्म का उपयोग किया है। उन्होंने कहा कि यह किस्म अन्य प्रजातियों की तुलना में अधिक रोग प्रतिरोधक है और इसका उत्पादन भी बेहतर है। यही कारण है कि उनके खेत में आसपास के अन्य किसान भी इस नई किस्म का अवलोकन करने आ रहे हैं। किसानों ने इस प्रजाति को सराहा और इसके अच्छे परिणामों को देखकर इस किस्म को अपने खेतों में अपनाने की इच्छा जाहिर की।

NRC-142: कीट प्रतिरोधक और कम लागत

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ग्राम छोटी चुरलाय के किसान श्री धर्मेन्द्र राजपूत ने NRC-142 किस्म के बारे में बताया कि यह किस्म काफी खास है। इसकी फल्लियां नीचे से ऊपर तक लगी रहती हैं और ये फल्लियां रोएंदार होती हैं, जिससे यह किस्म कीटों के हमले से बची रहती है। उन्होंने बताया कि कीटनाशकों के कम उपयोग की वजह से उनकी लागत में भी कमी आई है। यही नहीं, इस प्रजाति को अन्य किसानों ने भी पसंद किया है और इसे अपनाने का विचार कर रहे हैं।

सोयाबीन की नई किस्मों से बढ़ेगा उत्पादन

उप संचालक कृषि श्री गोपेश पाठक ने कहा कि जिले के किसानों के लिए यह नई किस्में एक बेहतर विकल्प साबित हो सकती हैं। अगर किसान इन प्रजातियों का उपयोग अपने खेतों में करते हैं, तो उन्हें अधिक उत्पादन के साथ-साथ बेहतर मुनाफा भी मिल सकता है। नई किस्मों की रोग प्रतिरोधकता और कीट प्रतिरोधक क्षमता की वजह से किसान अपने खेतों में इनका समावेश कर सकते हैं और खेती की लागत को भी कम कर सकते हैं।

किसानों के लिए नई उम्मीद

देवास जिले के किसानों ने सोयाबीन की इन नई किस्मों को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। कई किसानों ने कहा कि नई प्रजातियों ने उन्हें खेती के नए तरीके अपनाने के लिए प्रेरित किया है और वे अपनी फसलों में इन किस्मों का अधिक से अधिक उपयोग करने की योजना बना रहे हैं। साथ ही, इन किस्मों के उपयोग से होने वाला लाभ भी साफ नजर आ रहा है। अधिक उत्पादन, कीटों से सुरक्षा और लागत में कमी किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है।

देवास जिले में सोयाबीन की नई किस्मों का उपयोग किसानों के लिए उम्मीद की नई किरण लेकर आया है। NRC-130 और NRC-142 जैसी प्रजातियों ने किसानों को बेहतर उत्पादन और कम लागत का भरोसा दिया है। इन नई किस्मों का प्रयोग करके किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं और खेती को अधिक लाभदायक बना सकते हैं।